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बंगाल में पांव पसार रही है आईएसआई

प्रभाकर९ दिसम्बर २०१५

हाल के दिनों में पश्चिम बंगाल पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई एजंटों के लिए एक सुरक्षित शरणगाह के तौर पर उभरा है. तीन सप्ताह के भीतर 11 एजंटों की गिरफ्तारी ने खुफिया एजंसियों व राज्य सरकार के कान खड़े कर दिए हैं.

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Spionage
तस्वीर: picture-alliance/dpa/S. Hoppe

राज्य की लंबी सीमा बांग्लादेश से लगी होने और सीमा पर निगरानी व्यवस्था लचर होने की वजह से पाकिस्तान में प्रशिक्षण लेने के बाद यह एजेंट बांग्लादेश के रास्ते में सीमा पार कर यहां आ जाते हैं. अकेले इसी सप्ताह पाकिस्तान के लिए जासूसी के आरोप में सेना के एक जवान समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है. आईएसआई की बढ़ती गतिविधियों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने अब बांग्लादेश के सीमावर्ती इलाकों में स्थित मदरसों पर भी निगरानी बढ़ा दी है.

एजेंटों की गिरफ्तारी

राजधानी कोलकाता समेत सीमावर्ती इलाकों में आईएसआई के खिलाफ अभियान चलाने वाले कोलकाता पुलिस के स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) का कहना है कि हाल में महानगर के विभिन्न इलाकों से कई आईएसआई एजेंटों की गिरफ्तारी के बाद यह बात साफ हो गई है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ने महानगर व आसपास के इलाकों में अपना एक मजबूत नेटवर्क बना लिया है. एक अधिकारी ने दावा किया कि आईएसआई का नेटवर्क यहां काफी मजबूत है और इसके तार विदेशों तक फैले हैं. आईएसआई के लिए जासूसी करने के आरोप में अब तक जितने लोगों को गिरफ्तार किया गया है, उनमें सभी मुसलमान तबके के ही हैं.

इसी वजह से अब बांग्लादेश से लगे नदिया, मुर्शिदाबाद और उत्तर 24-परगना जिलों के विभिन्न इलाकों में निगरानी बढ़ा दी गई है. उन गांवों में आबादी का बड़ा हिस्सा अल्पसंख्यक है. सीमा पार से तस्करी और घुसपैठ जैसे मामले तो पहले भी होते रहे हैं लेकिन अब इस्लामिक स्टेट और उसके बाद आएसआई की बढ़ती गतिविधियां सरकार और केंद्रीय खुफिया एजेंसियों के लिए नया सिरदर्द बनती जा रही हैं. केंद्रीय खुफिया एजेंसियों ने कोई चार महीने पहले ही सरकार को इस बारे में आगाह किया था. अब खासकर एक महीने से चले विशेष अभियान के दौरान जहां लगभग एक दर्जन एजेंटों की गिरफ्तारी हुई है, वहीं उनके कब्जे से कई आपत्तिजनक दस्तावेद भी बरामद हुए हैं.

अल्पसंख्यक आबादी की बहुलता

एसटीएफ के अधिकारियों के मुताबिक सीमावर्ती इलाकों में स्थित मदरसों की इस मामले में अहम भूमिका है. सीमा पार से आने वाले पाक एजेंट इन मदरसों में ही शरण लेते हैं. हाल में खासकर सीमा पार से मालदा पहुंचने वाले फर्जी भारतीय नोटों की बढ़ती खेप ने भी आईएसआई की सक्रियता की पुष्टि की है. रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि सीमावर्ती इलाकों के लोगों का रहन-सहन और भाषा में समानता होने की वजह से इस बात की पहचान करना मुश्किल है कि कौन भारतीय है और कौन बांग्लादेशी. मुस्लिम आबादी की बहुलता और इलाके में गरीबी और बेरोजगारी की वजह से ही आएसआई ने इन इलाकों में युवकों की भर्ती पर ध्यान केंद्रित किया है.

खुफिया विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि ऐसे लोग मदरसों पर खास ध्यान दे रहे हैं. वहां उनको धन के लालच में काम करने वाले युवक आसानी से मिल जाते हैं. भारतीय सीमा पर बसे गांवों में जाने पर यह पता करना मुश्किल है कि यह इलाका भारत में है या बांग्लादेश में. सीमा पर निगरानी व्यवस्था लचर होने की वजह से लोग अक्सर सीमा पार करते रहते हैं. इन सीमावर्ती इलाकों में बांग्लादेश के मोबाइल टावर के सिगनल तक पहुंच आसान है. यही वजह है कि आईएसआई एजेंट बांग्लादेशी सिमकार्ड का इस्तेमाल करते हैं. भारतीय खुफिया एजेंसियों के लिए इन सिमकार्ड के जरिए होने वाली बातचीत पर निगाह रखना बेहद मुश्किल है.

मदरसों पर निगरानी

राज्य से लगी सीमा आईएसआई की बढ़ती सक्रियता के बाद राज्य सरकार ने तमाम सुरक्षा एजंसियों को सीमावर्ती इलाकों में स्थित कुछ मदरसों पर निगरानी बढ़ाने का निर्देश दिया है. सूत्रों ने बताया कि बांग्लादेश से लगे सीमावर्ती इलाकों के तमाम थानों को इस बारे में सतर्क कर दिया गया है. उनसे कुछ खास मदरसों में किसी भी तरह की संदिग्ध गतिविधियों पर निगाह रखने को कहा गया है. खुफिया विभाग लगातार इस बारे में सूचनाएं जुटा रहा है. खुफिया विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक, मुर्शिदाबाद जिले के कुछ मदरसों में कुछ संदिग्ध लोगों के देखे जाने की सूचनाएं मिली हैं. वे लोग इन मदरसों में दो-तीन दिन ठहरने के बाद गायब हो जाते हैं. इसी वजह से तमाम संबंधित थानों को सतर्क कर ऐसे लोगों के बारे में पता लगाने को कहा गया है.

बांग्लादेश की भूमिका

बांग्लादेश का राजनीतिक नेतृत्व भले बार-बार कहता रहा हो कि वह अपनी धरती पर भारत-विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा नहीं दोगा, हकीकत इसके उलट है. बीते साल दो अक्तूबर को बर्दवान जिले के खागड़ागढ़ में एक मकान में हुए विस्फोट ने राज्य में बांग्लादेशी उग्रवादी संगठन जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) के मजबूत नेटवर्क का खुलासा कर दिया था. वह बंगाल में भी अपने सदस्यों की भर्ती कर रहा था. उसने बर्दवान जिले के सिमुलिया स्थित एक मदरसे में हथियारों व विस्फोटकों का प्रशिक्षण देने के लिए एक प्रशिक्षण शिविर भी खोल रखा था. पहले उस विस्फोट की जांच खुफिया विभाग को सौंपी गई थी. लेकिन बाद में इसे राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंप दिया गया. एनआईए को अपनी जांच के दौरान पता चला कि जेएमबी मुर्शिदाबाद, नदिया व मालदा जिलों के कई मदरसों का इस्तेमाल अपने प्रशिक्षण केंद्रों के तौर पर करता था.