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बढ़ रही हैं भारत और जापान की नजदीकियां

मारिया जॉन सांचेज
१३ सितम्बर २०१७

भारत और जापान के बीच संबंध और अधिक प्रगाढ़ करने के लिए दोनों ही देश अपने-अपने ढंग से कोशिशें कर रहे हैं और इनकी एक झलक जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे की बुधवार से शुरू हुई भारत यात्रा में देखी जा सकती है.

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Indien Ahmadabad Besuch Shinzo Abe aus Japan und Narendra Modi
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/S. Solanki

इस यात्रा को एक सीमित अर्थ में गुजरात यात्रा भी कहा जा सकता है क्योंकि संभवतः पहली बार ऐसा होगा कि कोई विदेशी शासनाध्यक्ष भारत की राजधानी नयी दिल्ली आने के बजाय केवल एक राज्य में ही सिमटा रहेगा. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के प्रति अपने अतिशय प्रेम और परम्पराओं को तोड़ने की अपनी आदत के लिए प्रसिद्ध हैं और इसी क्रम में उन्होंने आबे का कार्यक्रम कुछ इस तरह का बनवाया है कि वह गुजरात से ही वापस हो जायेंगे.

अहमदाबाद में हवाईअड्डे से सड़क के जरिये मोदी के साथ उनकी राजसी ढंग की यात्रा शुरू होगी जिसके दौरान भारत के 28 राज्यों का प्रतिनिधित्व करते हुए 28 मंचों पर नृत्य-संगीत के साथ भारत की सांस्कृतिक झांकी पेश की जाएगी.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को छवियों के निर्माण में महारत हासिल है, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय राजनय में छवियों और शानदार जलसों की बेहद सीमित भूमिका है. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ भी उन्होंने साबरमती के तट पर झूला झूल कर पींगें बढ़ाई थीं लेकिन उसके बावजूद डोकलम विवाद होकर रहा. इस विवाद की छाया में ही शिंजो आबे की भारत यात्रा हो रही है क्योंकि जापान ही अकेला ऐसा देश था जिसने सबसे पहले भारत का समर्थन किया था और इससे चिढ़ कर चीन ने उसे बयान देने में संयम बरतने की सलाह दी थी. 

Japan Premierminister Shinzo Abe reist nach Indien
तस्वीर: picture-alliance/MAXPPP

भारत और अमेरिका के साथ मिलकर जापान मलाबार युद्धाभ्यास में भी भाग लेता रहा है. इस समय माना जा रहा है कि चीन की बढ़ती जा रही वैश्विक दादागिरी का सामना करने के लिए भारत और जापान के बीच के समीकरण की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है. कई वर्षों से जापान भारत के साथ विदेश मंत्रियों और रक्षा मंत्रियों के स्तर की वार्ता को और अधिक ऊंचाई और महत्व देने के लिए ज़ोर डालता आ रहा है लेकिन भारत ने अभी तक इस बारे में कोई फैसला नहीं लिया है. हो सकता है शिंजो आबे की इस यात्रा के दौरान इस बारे में कोई समझदारी बने. दरअसल भारत अमेरिका पर बहुत अधिक निर्भर नहीं हो सकता क्योंकि इससे रूस के नाराज होने का खतरा है. दूसरे राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प के कार्यकाल में अमेरिकी नीतियां क्या करवट ले बैठें, कुछ कहना कठिन है. चीन जिस तरह भारत का पड़ोसी देश है, उसी तरह जापान का भी है. और दोनों के बीच अतीत में शत्रुतापूर्ण संबंध रहे हैं. आज भी उनके आपसी संबंधों में तनाव बना रहता है. इसलिए चीन के खिलाफ साझा मोर्चा बनाना भारत और जापान दोनों के लिए जरूरी है.

जापान आज भी विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक है लेकिन चीन की आर्थिक प्रगति उसे चुनौती दे रही है. शिंजो आबे की यात्रा के दौरान भारत और जापान के बीच कई समझौते होने की उम्मीद है. आबे की भारत यात्रा का एक प्रमुख कार्यक्रम होगा अहमदाबाद और मुंबई के बीच प्रस्तावित बुलेट ट्रेन परियोजना की आधारशिला का रखा जाना. सत्रह अरब अमेरिकी डॉलर की लागत वाली इस अत्यंत महंगी परियोजना के लिए जापान भारत को आसान शर्तों पर ऋण दे रहा है. इस परियोजना की घोषणा मोदी सरकार के आने के तुरंत बाद की गई थी लेकिन इस पर काम अब शुरू हो रहा है जब सरकार का कार्यकाल डेढ़ साल ही बचा है. अभी भी बहुत-से लोगों को इसकी जरूरत समझ में नहीं आयी है, खासकर इसलिए क्योंकि सरकार शिक्षा और स्वास्थ्य पर बजट में लगातार कटौती किए जा रही है और इन क्षेत्रों से जुड़ी संस्थाओं से कह रही है कि वे अपने लिए वित्तीय संसाधन स्वयं जुटाएं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए इस परियोजना का पूरा होना निजी प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है. आबे की यात्रा के दौरान इस दिशा में पहला कदम उठाया जाएगा.