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बदलेगा मुंबई की काली पीली टैक्सी का रंग

१७ सितम्बर २०१०

मुंबई की सड़कों की पहचान है काली पीली टैक्सी. एक सदी से सड़कों पर दौ़ड़ रही ये कारें अब नजर आनी बंद हो सकती हैं. और कम से कम इन्हें चलाने वाले टैक्सी ड्राइवर तो ऐसा बिल्कुल नहीं चाहते.

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तस्वीर: Luke Jaworski

सरकार की रंग बदलने की योजना के खिलाफ ड्राइवर सड़कों पर उतरने की तैयारी कर रहे हैं. महाराष्ट्र सरकार ने काली पीली टैक्सी का रंग बदलकर मटमैला और भूरा करने की योजना बनाई है. राज्य के परिवहन मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल ने कहा है कि अब जो भी नई टैक्सी आएगी उसका रंग मटमैला और भूरा होगा न कि काला पीला. लेकिन इस बात का टैक्सी ड्राइवरों ने विरोध किया है. ड्राइवरों की सबसे बड़ी यूनियन का कहना है कि इस बारे में उनसे बात नहीं की गई.

यूनियन के महासचिव एएल क्वाद्रोस ने कहा, "इससे तो मुंबई में दो तरह की टैक्सी हो जाएंगी. इससे लोगों को परेशानी होगी. मंत्री ने यह फैसला हमसे सलाह किए बिना ही ले लिया. कारों का रंग बदलना अहम नहीं है लेकिन उन्हें बाकी चीजों का तो ध्यान रखना होगा."

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तस्वीर: AP

क्वाद्रोस की यूनियन में 40 से 55 हजार टैक्सी ड्राइवर हैं. उनका कहना है कि हमारे यहां टैक्सी का रंग लंदन की काली और न्यूयॉर्क की पीली टैक्सी से लिया गया है. वह कहते हैं, "ये रंग हमारी विरासत हैं. इस बारे में मैं लिखित विरोध भी दर्ज कराऊंगा."

मुंबई में टैक्सी 20वीं सदी के शुरू में ही चलने लगी और अब यह एक पहचान बन चुकी है. बॉलीवुड से लेकर टी शर्टों तक हर जगह यह नजर आती है. टैक्सी के लिए इस्तेमाल होने वाली सबसे मशहूर कार पद्मिनी है जो इटली की कंपनी फिएट और भारत की प्रीमियर ऑटोमोबिल्स लिमिटेड मिलकर बनाती थीं. साल 2000 में कंपनी ने इन्हें बनाना बंद कर दिया. उसके बाद से अन्य कंपनियों की दूसरी कारें टैक्सी के तौर पर इस्तेमाल होने लगी हैं. सरकार ने 25 साल या उससे ज्यादा पुरानी कारों को सड़कों से हटाने का फैसला किया. टैक्सी को अब रेडियो कैब से भी मुकाबला करना पड़ रहा है.

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः ओ सिंह

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