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बर्लिन में चेहरा पहचानने वाले निगरानी कैमरों का परीक्षण

१ अगस्त २०१७

बर्लिन के मेट्रो स्टेशनों में चेहरा पहचानने वाले निगरानी कैमरों का परीक्षण किया जा रहा है. कैमरे संदिग्ध को देखते ही पहचान लेंगे. एक नजर इस तकनीक पर.

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Bahnhofs Südkreuz -Testlauf zur Gesichtserkennung durch Überwachungskameras
तस्वीर: picture-alliance/dpa/P. Zinken

बर्लिन के जूडक्रोएत्ज स्टेशन स्टेशन पर पहला फेस रिकॉगनिशन कैमरा लगाया जा रहा है. प्रोजेक्ट में जर्मन पुलिस, संघीय क्रिमिनल पुलिस, गृह मंत्रालय और रेल कंपनी डॉयचे बॉन शामिल हैं. इस दौरान कुछ 250 लोगों की मदद ली जाएगी. इन्होंने परीक्षण में शामिल होने की इच्छा जताई है. सभी प्रतिभागियों ने पुलिस को अपना नाम और अपने चेहरे की दो तस्वीरें दी है. इनकी मदद से डाटाबेस बनाया गया है. इसी डाटाबेस की मदद से कैमरा आने वाले दिनों में इन लोगों की पहचानेगा.

टेस्ट फेज के दौरान तीन खास किस्म के कैमरे लगाए गए हैं. ये कैमरे मेट्रो स्टेशन के गेट और वहां से प्लेटफॉर्म की तरफ आने वाली सीढ़ी पर नजर रखेंगे. कैमरों में एक छोटा सा ट्रांसमीटर लगा है, जो फुटेज को सीधे डाटाबेस वाले कंप्यूटर पर भेजेगा. सुपरफास्ट कंप्यूटर कैमरों से आए वीडियो को तस्वीरों के डाटाबेस से मिलाएगा. तस्वीर वाले शख्स के मिलते ही कंप्यूटर अधिकारियों को जानकारी देगा.

पुलिस का दावा है कि यह सिस्टम आतंकवाद से लड़ने और अपराध को रोकने में मदद करेगा. पुलिस को लगता है कि खतरनाक स्थिति पैदा करने से पहले ही संदिग्ध का पता चलेगा. सिस्टम को अच्छी तरह से परखने के लिए पुलिस कई तरह के प्रयोग भी करेगी. बर्लिन में पुलिस के प्रवक्ता ने कहा, "हम इसे सामान्य परिस्थितियों में टेस्ट करना चाहते हैं. टेस्ट में शामिल होने वाले हैट या बाइक हेल्मेट भी पहनेंगे, वे अचानक भीड़ में भी गुम हो जाएंगे." साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स के मुताबिक सिस्टम 10 लाख मामलों में एक गलती कर सकता है.

लेकिन निजता के पैरोकार बायोमैट्रिक फेस रिकॉगनिशन प्रोग्राम को गैरकानूनी करार दे रहे हैं. जर्मनी की संघीय डाटा प्रोटेशन कमिश्नर आंद्रेया फोसहॉफ टेस्टिंग के पक्ष में हैं, लेकिन वह मानती हैं कि बाद में इसके व्यापक इस्तेमाल से डाटा सुरक्षा की दीवार टूट सकती है. निजता को लेकर फिलहाल बहस चल रही है. और निगाहें कृत्रिम बुद्धि के क्षमताओं पर भी टिकी हैं.

माक्सिमिलियान कोसचिक/ओएसजे