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बुजुर्गों के लिए मुश्किल

१ अक्टूबर २०१३

दुनिया भर में आबादी के साथ साथ जीवन दर भी बढ़ रहा है. लेकिन संयुक्त राष्ट्र के एक सर्वे के अनुसार ज्यादातर देश अपनी वृद्ध होती आबादी की मदद करने को तैयार नहीं हैं. भारत भी इन देशों में शामिल है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

संयुक्त राष्ट्र और वृद्धों के अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाली संस्था हेल्पएज के सर्वे में स्वीडन पहले नंबर पर और अफगानिस्तान सबसे नीचे हैं. इस रिपोर्ट में वही बातें सामने आईं हैं, जिसकी चेतावनी बुजुर्ग अधिकारों के लिए लड़ रही संस्थाएं काफी दिनों से दे रही हैं. दुनिया के अधिकांश देश तेजी से वृद्ध हो रही अपनी आबादी की जरूरतों से निबटने के लिए तेजी से कदम नहीं उठा रहे हैं. मानव इतिहास में पहली बार 2050 में 60 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों की संख्या 15 साल से कम के बच्चों से अधिक होगी. रिपोर्ट के अनुसार तेजी से बूढ़े हो रहे देश जॉर्डन, लाओस, मंगोलिया और वियतनाम जैसे विकासशील देश हैं, जहां की आबादी 2050 तक तिगुनी हो जाएगी.

काम करने को मजबूर

जीवन यापन के लिए वृद्धावस्था में भी कियॉस्क चलाने को मजबूर वियतनाम के 65 वर्षीय ट्रुओंग टीन थाओ कहते हैं, "मेरी उम्र के लोगों को आराम करना चाहिए, लेकिन दो जून की रोटी कमाने के लिए मुझे अभी भी काम करना पड़ता है." उन्हें और उनकी 61 वर्षीया पत्नी को न तो कोई पेंशन मिलती है, ना ही उनके पास कोई हेल्थ इंश्योरेंस है. "मुझे डर लगता है कि कहीं बीमार न पड़ जाऊं. मुझे पता नहीं कि मैं डॉक्टर का खर्च कैसे चुकाऊंगा."

मंगलवार को जारी सर्वे में 91 देशों में सामाजिक और आर्थिक कल्याण की रैंकिंग है. इसमें स्वीडन के अलावा नॉर्वे और जर्मनी को वृद्ध लोगों के रहने के लिए सबसे अच्छी जगह बताया गया है. स्वास्थ्य, आय और सामाजिक अधिकारों जैसों मुद्दों पर पहली व्यापक रिपोर्ट कहे जा रहे ग्लोबल एज वॉच इंडेक्स के अनुसार अधिकांश देश बुजुर्ग नागरिकों को सुरक्षित भविष्य देने की चुनौती के लिए तैयार नहीं हैं.

एज वॉच इंडेक्स में स्वीडन सबसे ऊपर है. स्वीडन के पांच राष्ट्रीय पेंशनर संगठनों में सदस्यता के उच्च स्तर की सराहना की गई है. वे बुजुर्ग नागरिकों के अधिकारों के लिए जोरदार वकालत करते हैं. नॉर्वे इस सूची में दूसरे नंबर पर है जहां श्रम बाजार में बुजुर्गों की भागीदारी सबसे ज्यादा है. वहां 68 फीसदी बुजुर्ग लोग श्रम बाजार में शामिल हैं. जर्मनी इस सूची में तीसरे नंबर पर है, लेकिन हाल के सालों में वहां पेंशन में आई कमी पर चिंता जताई गई है और कहा गया है कि उसमें आने वाले सालों में और कमी हो सकती है. रिपोर्ट के अनुसार वृद्धावस्था में सुरक्षित आय और स्वास्थ्य जरूरी है.

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दुनिया के अधिकांश देश तेजी से वृद्ध हो रही अपनी आबादी की जरूरतों से निबटने के लिए तेजी से कदम नहीं उठा रहे हैं.तस्वीर: Fotolia/Grischa Georgiew

अफगानिस्तान आखिरी

ग्लोबल एज वॉच इंडेक्स में उत्तरी अमेरिकी देशों की स्थिति भी अच्छी है. कनाडा पांचवें स्थान पर है तो अमेरिका आठवें स्थान पर. आबादीजन्य कारणों से बुजुर्गों की बढ़ती संख्या का सामना कर रहे दक्षिण अमेरिकी देशों की हालत भी इंडेक्स पर अच्छी है. वे चोटी के 30 देशों में शामिल हैं. वहां 2050 तक आबादी दोगुनी हो जाने का अनुमान है. यूरोप के देशों में यूक्रेन (66), रूस (78) और मोंटेनिगरो (83) की हालत अच्छी नहीं है. सर्वे में शामिल देशों में सबसे खराब हालत अफगानिस्तान की है, जहां सरकार से बाहर काम करने वालों को कोई पेंशन नहीं मिलती. पुरुष औसत 59 साल जीते हैं और महिलाएं 61 साल, जबकि वैश्विक औसत 68 और 72 साल है.

संयुक्त राष्ट्र के बुजुर्ग लोगों के अंतरराष्ट्रीय दिवस पर जारी रिपोर्ट को तैयार करने में विश्व स्वास्थ्य संगठन और वर्ल्ड बैंक की सूचनाओं का इस्तेमाल किया गया है. इस रिपोर्ट को तैयार करने वाले रिसर्चरों का कहना है कि बुजुर्ग लोगों पर जानकारी के अभाव ने बुजुर्ग नागरिकों के हितों को राजनीतिक एजेंडे पर लाने के प्रयासों में बाधा डाली है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के जॉन बर्ड का कहना है, "जब तक आप किसी चीज को मापते नहीं, यह फैसला लेने वालों के दिमाग में नहीं होता." एक ओर लोगों का बुजुर्ग होना चिकित्सा प्रणाली में तरक्की को दिखाता है तो दूसरी ओर बहुत से देशों में आय, स्वास्थ्य और मकान जैसी आधारभूत सुविधाओं का अभाव है.

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जर्मनी इस सूची में तीसरे नंबर पर है, लेकिन हाल के सालों में वहां पेंशन में आई कमी पर चिंता जताई गई है.तस्वीर: picture-alliance/dpa

खर्चीला होने का डर

बहुत सी सरकारें अब तक इससे निबटने के लिए कोई कदम उठाने से इसलिए झिझकती रही हैं कि यह जटिल और खर्चीला मामला है. हेल्प एज इंटरनेशनल की चीफ एक्जेक्यूटिव सिल्विया स्टेफानोनी इससे सहमत नहीं हैं. उनका कहना है कि जापाम और जर्मनी ऐसे देश हैं जहां बुजुर्गों का अनुपात बहुत ज्यादा है, लेकिन ये स्थिर अर्थव्यवस्थाएं भी हैं. रिपोर्ट का यह भी कहना है कि संपन्नता बुजुर्गों की सुरक्षा की गारंटी नहीं है. तेजी से विकास कर रहे भारत, ब्राजील, रूस और चीन जैसे देश इस सूची में ऊरुग्वे और पनामा जैसे देशों से काफी नीचे हैं.

रिपोर्ट का यह भी कहना है कि धनी देश आम तौर पर गरीब देशों के मुकाबले बुढ़ापे की चुनौती का सामना करने की बेहतर स्थिति में हैं. स्वीडन का पेंशन सिस्टम अब सौ साल पुराना है. स्टॉकहोम में रहने वाली 80 साल की मारियाने ब्लोमबर्ग स्वास्थ्य प्रणाली की तारीफ करती हैं, "स्वास्थ्य की देखभाल करने वाली व्यवस्था ने मेरे लिए बहुत ही अच्छा काम किया है. इमरजेंसी सर्विस बुलाने से डिसचार्ज किए जाने तक सब कुछ अच्छा रहता है. यहां तक कि खाना भी अच्छा है." लेकिन चुनौतियां वहां भी हैं. सरकार ने सुझाव दिया है कि लोगों को जीवनस्तर बनाए रखने के लिए 65 की उम्र के आगे भी काम करते रहना चाहिए.

एमजे/आईबी (एपी)

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