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बातचीत की मेज पर जरदारी और करजई

१८ अगस्त २०१०

पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और अफगानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करजई अर्से बाद सद्भावपूर्ण बातचीत का हिस्सा बने. रूस में चल रही क्षेत्रीय सुरक्षा बैठक में दोनों नेताओं ने हिस्सा लिया.

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तस्वीर: AP

अफगानिस्तान में सुरक्षा के मसले पर अर्से से एक दूसरे के खिलाफ शब्दबाण चला रहे जरदारी और करजई के बीच प्रस्तावित द्विपक्षीय बातचीत इस कवायद का सबसे अहम हिस्सा होगी. इससे पहले काला सागर स्थित सोची में सम्पन्न चारपक्षीय शिखर बैठक में जरदारी और करजई के अलावा रूस के राष्ट्रपति दिमित्री मेद्वेदेव तथा ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति इमोमाली रखमोन ने भी हिस्सा लिया.

शिखर भेंट से पहले मेद्वेदेव ने तीनों नेताओं के साथ अलग अलग मुलाकात भी की. करजई के साथ अलग से मुलाकात में मेद्वेदेव ने आतंकवाद के खिलाफ साझा संघर्ष में उन्हें पूरा सहयोग देने का भरोसा दिलाया. इसके अलावा उन्होंने जरदारी से भी क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए मिलकर काम करने की अपील की. जरदारी ने इसे स्वीकारते हुए एकजुट होकर समस्या से निपटने में अफगानिस्तान को सहयोग का आश्वासन दिया.

Karzai Zardari Medvedev Gipfeltreffen
मेद्वेदेव और जरदारीतस्वीर: AP

करजई ने इस मसले पर रूस की भूमिका को सराहते हुए मेद्वेदेव का आभार व्यक्त किया. गौरतलब है कि करजई अफगानिस्तान में आतंकवाद से निपटने में नाकामी का दोष लगातार पाकिस्तान पर मढ़ रहे हैं. उनका कहना है कि सेना और आईएसआई के प्रभाव में चल रही पाकिस्तान सरकार तालिबान को पनाह दे रही है जिससे न सिर्फ अफगानिस्तान बल्कि आसपास के देशों को भी आतंकवाद से जूझना पड़ रहा हैं.

हालांकि रूस अफगानिस्तान में सोवियत दौर में अपने 13 हज़ार सैनिक गंवा देने के बाद अब इस बार तटस्थ की भूमिका में है. लेकिन विश्व पटल पर अपनी स्थिति मजबूत करने के मकसद से रूस दुनिया की सबसे गंभीर होती इस समस्या के समाधान में अपनी भूमिका तलाशने के लिए इस बैठक का हिस्सा बना है. यह दीगर बात है कि वह अभी भी नाटो के बैनर तले अफगानिस्तान में अपने सैनिक भेजने को राजी नहीं है. उसने नाटो को सिर्फ अपना हवाई मार्ग मुहैया कराया है.

अफगानिस्तान से सैनिकों की वापसी के दो दशक बाद रूस इलाके में फिर से अपना प्रभाव बढ़ाने का प्रयास कर रहा है. इन चार देशों की यह दूसरी शिखर भेंट है. पहली शिखर भेंट जुलाई 2009 में ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे में हुई थी.

रिपोर्टः एजेंसियां/निर्मल

संपादनः महेश झा