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बादलों की पड़ताल

३ जनवरी २०१८

आम पैसेंजर प्लेन करीब 12 किलोमीटर की ऊंचाई पर उड़ते हैं. इससे ऊपर उड़ना इसलिए भी मुश्किल होता है क्योंकि इसके बाद हवा हल्की हो जाती है और विमान का हवा में टिके रहना मुश्किल हो जाता है. इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि ग्लोरिया को जमीन से 20 किलोमीटर ऊपर भेजना कितना जोखिम भरा होगा. इस प्रोजेक्ट पर एक करोड़ यूरो खर्च किए गए हैं. आइए देखते हैं कि क्या ग्लोरिया अपने मिशन में सफल हो पाती है.

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