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समाज

बाल विवाह की बेड़ियां तोड़ेगा 'बंधन तोड़'

२० सितम्बर २०१७

बिहार में बाल विवाह जैसी कुप्रथा को जड़ से समाप्त करने के लिए सामाजिक कार्यकर्ताओं ने एक मोबाइल ऐप तैयार किया है. यह ऐप न केवल बाल विवाह को रोकने में बल्कि दहेज और अन्य कुप्रथाओं के खिलाफ लड़ने में भी मदद करेगा.

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तस्वीर: Fotolia/bloomua

'बंधन तोड़' एक खास तरह का ऐप है, जिसका मकसद है समाज में लैंगिक बराबरी लाना. इस ऐप को जेंडर एलायंस ने तैयार किया है. जेंडर एलायंस बिहार में लिंग समानता स्थापित करने के लिए 270 चैरिटी संस्थाओं का संयुक्त प्रयास है. इस ऐप को हाल ही में राज्य के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने लॉन्च किया.

बिहार के इस कदम को संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष की ओर से भी मदद मिल रही है. बाल विवाह के मामले में भारत दुनिया भर में बदनाम है. यूनिसेफ की एक रिपोर्ट मुताबिक पूरी दुनिया की तुलना में सबसे अधिक बाल विवाह भारत में होते हैं.

बंधन तोड़ का अर्थ इसके नाम से ही जाहिर होता है, बंधनों को तोड़ने वाला. इसमें बाल विवाह, दहेज और अन्य सभी कुप्रथाओं से जुड़े बंधनों को तोड़ने की पैरवी की गयी है. इस ऐप में एक एसओएस बटन है जो सक्रिय होने पर पूरी टीम को सूचित करता है. जेंडर एलायंस के प्रमुख प्रशांती तिवारी बताती हैं, "यह ऐप बाल विवाह को रोकने में हमारी कोशिशों में कारगर साबित होगा." प्रशांती मानती हैं कि "शिक्षा देना अच्छी बात है लेकिन जब किसी लड़की पर कानूनी उम्र के पहले ही शादी का दवाब बनाया जा रहा हो तो उस स्थिति में लड़कियों के लिए यह ऐप मददगार साबित हो सकता है." 

Kinderehe in Indien
तस्वीर: picture alliance/AP Photo/P. Hatvalne

बाल विवाह एक अपराध है लेकिन पारंपरिक रूप से भारतीय समाज में यह प्रथा चलती आ रही है. इसलिए बाल विवाह के खिलाफ शिकायतें कम ही दर्ज होती हैं. कार्यकर्ता कहते हैं कि बाल विवाह के चलते लड़कियां पढ़ाई पूरी नहीं कर पातीं और साथ ही यौन शोषण और घरेलू हिंसा के कई मामले सामने आते हैं. चैरिटी संस्थान 'ऐक्शन ऐड' (भारत) ने इस साल अपनी रिपोर्ट में कहा था कि तमाम कानूनी प्रयासों के बावजूद अब भी बाल विवाह जैसी कुप्रथा समाज में जमी है. 

प्रशांती ने बताया, "ऐप का एसओएस जैसे ही सक्रिय होगा, आसपास स्थित एनजीओ को पता चल जाएगा और वे मामले को सुलझाने की कोशिश करेंगे, लेकिन अगर बात नहीं बनेगी तो वह पुलिस को सूचित करेंगे."

'चाइल्ड इन नीड इंस्टीट्यूट' के मुताबिक ऐसा ही एक ऐप साल 2015 में पश्चिम बंगाल में लॉन्च किया जा चुका है, जिसका मकसद भी राज्य में बाल विवाह, मानव तस्करी और बाल श्रम से जूझते बच्चों और महिलाओं को बचाना था.

एए/आरपी (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)