बाल से हजारों गुना पतली मशीनें बनाने के लिए मिला नोबेल
५ अक्टूबर २०१६रॉयल स्वीडिश एकेडमी ने अपने बयान में कहा है, "2016 में रसायन शास्त्र का नोबेल जीतने वालों ने मशीनों का सूक्ष्म रूप तैयार किया है और वो रसायन शास्त्र को नए आयामों तक ले गए हैं." बयान में कहा गया है कि ये मशीन बाल के रोएं से भी हजारों गुना पतली हैं. एकेडमी का कहना है कि फ्रांस, अमेरिका और नीदरलैंड्स में रहने वाले इन वैज्ञानिकों ने ऐसी गतिशीलता वाले अणु विकसित किए हैं जिसे नियंत्रित किया जा सकता है और ये अणु उर्जा मिलने पर दिए हुए काम को पूरा कर सकते हैं.
बयान में कहा गया है, "इन अणु मशीनों का इस्तेमाल नए पदार्थ, सेंसर और एनर्जी स्टोरेज सिस्टम जैसी चीजों के निर्माण में किया जा सकेगा." रसायन शास्त्र का नोबेल इस साल का तीसरा नोबेल है. इससे पहले जापान के योशिनोरी ओहसूमी को चिकित्सा क्षेत्र का नोबेल और ब्रिटेन में जन्मे तीन वैज्ञानिकों डेविड थोलेस, डंकन हैलडेने और माइकल कोस्टरलिट्स को भौतिक का नोबेल देने की घोषणा की गई. इसके बाद आने वाले दिनों में शांति, साहित्य और अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार विजेताओं के नाम सामने आएंगे.
71 वर्षीय सुवागे स्ट्रासबुर्ग यूनिवर्सिटी में मानद प्रोफेसर हैं और फ्रांस के वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र में मानद शोध निदेशक हैं. वहीं 74 वर्षीय स्टोडार्ट अमेरिका के इलिनॉय में नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी इवांस्टन में रसायन शास्त्र के प्रोफेसर हैं. इसके अलावा 65 वर्षीय फेरिंगा नीदरलैंड्स की यूनिवर्सिटी ऑफ ग्रोनिंगेन में जैविक रसायन के प्रोफेसर हैं.
एकेडमी के बयान में कहा गया है कि पहली बड़ी कामयाबी सुवागे को 1983 में मिली जब उन्होंने छल्ले के आकार के दो अणुओं को मिलाकर एक श्रृंखला बनाई. इसके बाद 1991 में अगला कदम स्टोडार्ट ने उठाया जब उन्होंने अणु छल्ले को एक सूत्र में बांधकर अणु की धुरी तैयार की जबकि 1999 में फेरिंगा ने पहली बार एक अणु मोटर विकसित की.
हर नोबेल पुरस्कार के साथ 80 लाख स्वीडिश क्रोनर यानी 9.3 लाख अमेरिकी डॉलर की राशि, एक मेडल और एक प्रशस्तिपत्र दिया जाता है. नोबेल पुरस्कार का वितरण दिसंबर में होता है.
एके/एमजे (एपी, डीपीए)