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बिजली से जगमग होता भारत

५ मई २०१७

प्रदूषण की मार झेलता भारत ई-मोबिलिटी की तरफ बढ़ रहा है. आने वाले 13 साल के भीतर देश में पेट्रोल और डीजल की कोई कार नहीं बिकेगी. सड़कों पर चलने वाली हर कार इलेक्ट्रिक होगी.

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Solar Indien
तस्वीर: dapd

भारत ने खुद के सामने 2030 का लक्ष्य रखा है. सरकार के मुताबिक 2030 तक भारत में बिकने वाली हर नई कार इलेक्ट्रिक होगी. इससे प्रदूषण भी कम होगा और कच्चे तेल पर निर्भरता भी कम होगी. नई दिल्ली में भारतीय उद्योग जगत को संबोधित करते हुए कोयला, खनन और अक्षय ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, "हम बड़े स्तर पर इलेक्ट्रिक गाड़ियां पेश करने जा रहे हैं. विचार है कि 2030 तक देश में पेट्रोल और डीजल वाली कोई भी कार नहीं बिकनी चाहिए."

भारत सरकार में 2015 में एलईडी बल्बों को प्रोत्साहन दिया. उनकी कीमत में रियायत भी दी गई. गोयल के मुताबिक एलईडी बल्बों के व्यापक इस्तेमाल से बिजली का बिल कम हुआ है. उन्होंने दावा किया कि इलेक्ट्रिक कारें भी इसी तर्ज पर बेहद किफायती बनाई जाएंगी. इलेक्ट्रिक कार उद्योग को शुरुआत में दो से तीन साल तक सरकार की मदद की जरूरत पड़ेगी. सरकार ने साफ किया कि बाद में कारों की बिक्री पर सब्सिडी नहीं दी जाएगी. कंपनियां अगर बिजली से चलने वाली किफायती कारें बनाएंगी तो बिक्री स्वाभाविक रूप से होगी.

प्रदूषण से मौत

पर्यावरण सुरक्षा की वकालत करने वाले संगठन ग्रीनपीस के मुताबिक भारत में हर साल 23 लाख लोग प्रदूषित हवा के कारण मारे जाते हैं. वायु प्रदूषण भारत में जन स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था के लिए संकट बन चुका है. 2015 में भारत में वायु प्रदूषण के चलते चीन से ज्यादा लोग मारे गए. 2015 के आखिर में आई रिपोर्ट में दिल्ली को दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर करार दिया गया. उस रिपोर्ट के बाद दिल्ली में ऑड-ईवन जैसा फॉर्मूला भी टेस्ट किया गया. गोयल के मुताबिक इलेक्ट्रिक कार योजना को पहले दिल्ली जैसे बेहद प्रदूषित शहरों में लॉन्च किया जाएगा.

भारत धीरे धीरे बिजली संकट से बाहर निकल रहा है. 2017 में शुरुआती महीनों में देश में पहली बार बिजली सरप्लस रही. सरप्लस का मतलब है कि देश में डिमांड से ज्यादा बिजली मौजूद रही. इस दौरान नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार को बिजली एक्सपोर्ट भी की गई. अधिकारियों का अनुमान है कि 2017 में बिजली का सरप्लस 1.1 फीसदी रहेगा.

(135 साल बाद इलेक्ट्रिक कारों की वापसी)

ओएसजे/एमजे (पीटीआई)