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सच हुई टेलीपैथी

८ सितम्बर २०१४

बच्चों के दिल की बात परेशानी की घड़ी में मां को खुद ही पता चल जाती है. इसे टेलीपैथी भी कहते हैं. अब रिसर्चर तकनीक की मदद से भारत और फ्रांस में बैठे दो लोगों के बीच बिना किसी संपर्क के संदेश भेजने में कामयाब हो गए हैं.

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Künstliche Intelligenz
तस्वीर: Fotolia/Mopic

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों के मुताबिक तकनीक का इस्तेमाल हजारों मील की दूरी पर बैठे दो इंसानों के मस्तिष्क को जोड़ने के लिए किया जा सकता है. रिसर्च को अंजाम देने वाली टीम में शामिल गिलियो रुफिनी ने बताया, "यह कोई जादू नहीं है, लेकिन हां यह टेलीपैथी के ख्वाब का तकनीकी रूप है. हम तकनीक का इस्तेमाल से दो दिमागों के बीच विद्युत चुंबकीय तरीके से संपर्क कराने की कोशिश कर रहे हैं."

प्रयोग के लिए एक व्यक्ति को इंटरनेट से जुड़ा वायरलेस ईईजी पहनाया गया. फिर उससे कोई छोटा सा 'हैलो' जैसा संदेश सोचने को कहा गया. इसके बाद यह संदेश वायरलेस कनेक्शन से कंप्यूटर में गया और कंप्यूटर ने इसे बाइनरी कोड में बदला. फिर यह संदेश भारत से फ्रांस ईमेल हुआ. वहां यह संदेश दूसरे व्यक्ति तक रोबोट की मदद से पहुंचा. उसके दिमाग में बिना कोई अन्य प्रभाव डाले एक खास तरह की गतिविधि हुई, जिससे उसकी आंखों में चमक पैदा हुई. यानि संदेश मिलने वाला व्यक्ति खुद सीधे तौर पर संदेश सुन नहीं सका लेकिन चमक से उसे संदेश के आने का पता चल गया.

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में न्यूलॉजी के प्रोफेसर अल्वारो पास्कुअल लियोने ने इस बारे में कहा, "हम पता लगाना चाहते थे कि क्या यह मुमकिन है कि दो व्यक्तियों के बीच संचार के लिए, एक के दिमाग की गतिविधि को पढ़ कर दूसरे तक पहुंचाया जा सके, और ऐसा मीलों की दूरी पर हो सके."

इस काम के लिए एक अहम जरिया इंटरनेट है. इसके बाद अगली चुनौती यह थी कि क्या दोनों के बीच बातचीत संदेश की टाइपिंग या बात किए बगैर हो सकती है? रुफिनी ने बताया कि इस बात का विशेष ख्याल रखा गया कि संदेश भेजे जाने के रास्ते में सोई सेंसर जैसी रुकावट न आए, जिससे संदेश का मतलब बदल जाए. रिसर्चर इस दिशा में पिछले एक दशक से काम कर रहे हैं कि एक इंसान से दूसरे तक बिना किसी संपर्क के संदेश भेजा जा सके.

साइंस की प्लोस पत्रिका में छपी इस रिपोर्ट के बारे में रिसर्चर कहते हैं कि अभी आगे इस दिशा में बहुत काम बाकी है, इतनी जल्दी किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सकता. रुफिनी ने कहा, "हम उम्मीद करते हैं कि आने वाले समय में लोगों के बीच संचार के तरीकों में बहुत बड़े परिवर्तन आएंगे."

एसएफ/आईबी (एएफपी)