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बिन लादेन के दामाद पर अमेरिकी शिकंजा

२५ अगस्त २०१०

पाकिस्तान में तालिबान की भूमिका पर बढ़ती बहस के बीच अमेरिकी अखबार वाशिंगटन पोस्ट का कहना है कि सीआईए का मानना है कि अल कायदा का यमन ब्रांच अमेरिका के लिए ओसामा बिन लादेन ग्रुप से ज्यादा बड़ा खतरा बन गया है.

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तस्वीर: AP

सीआईए अब यमन में गोपनीय सैन्य अभियान का स्तर बढ़ाना चाहता है और उग्रपंथियों को मारने के लिए वहां भी ड्रोन का इस्तेमाल करना चाहता है. अरबी प्रायद्वीप पर अल कायदा के लड़ाकों को पकड़ने के लिए अमेरिका की विशेष टुकड़ियां पिछले कई सालों से यमन की सरकार के साथ सहयोग कर रही हैं. यमनी अल कायदा का नेतृत्व करने वालों में अमेरिका में पैदा हुआ विद्रोही मौलवी अनवर अल अवलाकी भी शामिल है.

Anwar al-Awlaki
यमन में अल कायदा के नेताओं में अवलाकी भीतस्वीर: dapd

एक काउंटर टेररिज्म अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा है कि अल कायदा और उससे बने संगठन दोनों ही खतरनाक हैं लेकिन यमनी ब्रांच पर उतना दबाव नहीं डाला गया है जितना पाकिस्तान में मूल संगठन पर.

उधर यमनी अधिकारियों ने दावा किया है कि उन्होंने दक्षिणी शहर लोडर पर फिर से नियंत्रण स्थापित कर लिया है जो संदिग्ध अल कायदा उग्रपंथियों के हाथों में था. उप गृहमंत्री जनरल सालेह अल जवेरी ने कहा है, "सुरक्षा अधिकारियों ने अपना काम कुशलता के साथ किया है."

उधर अमेरिका अल कायदा को धन मुहैया कराने वाले एक नेता के खिलाफ नए प्रतिबंध लगा रहा है. यह आतंकी ग्रुप के संसाधनों पर हमला करने की अमेरिकी नीति का हिस्सा है. वित्त मंत्रालय ने कहा है कि वह मुहम्मद अबदल्लाह हसन अबु अल खैर की संपत्ति जब्त कर रहा है, जो ओसामा बिन लादेन का दामाद भी है.

अल खैर को अल कायदा के पाकिस्तान में एक ड्रोन हमले में मारे गए मुख्य वित्तीय अधिकारी का उत्तराधिकारी माना जा रहा है. वित्त मंत्रालय का कहना है कि अल खैर ने अमेरिका पर आतंकी हमले के लिए करोड़ों डॉलर ट्रांसफर किए हैं.

रिपोर्ट: एपी/महेश झा

संपादन: एन रंजन