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नहीं आ पाएगा बुढ़ापा

६ मार्च २०१४

इंसान की पुरानी ख्वाहिश है, जवान बने रहना, कि किसी भी तरह बुढ़ापा शरीर पर दिखाई न दे. अब अमेरिकी वैज्ञानिक इसी लक्ष्य को पाने के लिए इंसानी जीनोम की जांच कर रहे हैं कि बुढ़ापे को रोकने की चाबी मिल जाए.

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तस्वीर: Fotolia/majcot

अगर बुढ़ापे का कारण और इसमें होने वाली समस्याओं की जड़ तक पहुंच जाया जाए तो क्या एक दिन बुढ़ापे को भी आने से रोका जा सकेगा? मानव जीनोम के सीक्वेंस को पता कर इससे पहला कृत्रिम सेल बनाने वाले अमेरिकी वैज्ञानिक क्रैग वेंटर की अगली रिसर्च इसी बारे में है.

इस प्रोजेक्ट में वेंटर के साथ स्टेम सेल की शुरुआती खोज करने वाले डॉक्टर रॉबर्ट हरीरी और एक्स प्राइज फाउंडेशन के संस्थापक डॉक्टर पीटर डायमांडिस शामिल हैं. इन तीनों ने मिलकर ह्यूमन लॉन्जिविटी नाम की कंपनी बनाई है. यहां जीनोमिक्स और स्टेम सेल संबंधी जानकारियों को मिलाकर बुढ़ापे से लड़ने के इलाज के जरिए लोगों को जवान और स्वस्थ रहने में मदद की जाएगी.

सबसे बड़ा डाटाबेस

डॉक्टर वेंटर ने बताया, "हम अब तक का अपने आप में सबसे बड़ा डाटा सेट तैयार कर रहे हैं." मानव में आनुवांशिकीय विविधता को समझने के लिए कंपनी हर साल चालीस हजार मानव जीनोम संबंधी आंकड़े जमा कर दुनिया का सबसे बड़ा डाटाबेस तैयार करेगी.

उन्होंने बताया कि उन्हें उम्मीद है कि इस प्रोजेक्ट के जरिए लंबी उम्र पाई जा सकेगी और बुढ़ापे के साथ आने वाली समस्याओं को रोका जा सकेगा. इस डाटाबेस में बहुत छोटी आयु से लेकर बहुत बड़ी आयु वाले स्वस्थ और बीमार सभी तरह के लोगों के जेनेटिक सीक्वेंस होंगे.

अमेरिका के स्क्रिप्स ट्रांसलेशनल साइंस इंस्टीट्यूट के डॉक्टर एरिक टोपोल ने प्रोजेक्ट को बड़ा बताया. उनके मुताबिक इस दिशा में कामयाबी के लिए यह एक बेहद फायदेमंद कदम है. टोपोल ने कहा, "इसमें कोई शंका नहीं कि इस दौरान अहम खोज होती रहेंगी. लेकिन ये साफ नहीं है कि ह्यूमन लॉन्जिविटी और कैलिको जैसे प्रयासों से लंबी उम्र पर असर होगा या नहीं."

USA Craig Venter
अमेरिकी वैज्ञानिक क्रैग वेंटरतस्वीर: picture-alliance/dpa

रिसर्च का सही समय

कंपनी के उपाध्यक्ष डायमांडिस ने माना कि इस दिशा में पहले से ही काफी रिसर्च की जा चुकी हैं और आगे भी की जाती रहेंगी. लेकिन वह मानते हैं कि इस तरह की खोज के लिए यह खास समय है. उनके मुताबिक आधुनिक तकनीक के आ जाने से जीनोम की सीक्वेंसिंग में पहले के मुकाबले कहीं कम लागत आती है. क्लाउड कंप्यूटिंग और मशीनों में स्टोरेज की आधुनिक तकनीक की मदद से इतने बड़े स्तर पर जानकारी सुरक्षित करना आसान हो गया है.

मानव जीनोम की सीक्वेंसिंग के अलावा वैज्ञानिक बैक्टीरिया और वाइरस जैसे सूक्ष्म जीवों के जेनेटिक आंकड़े भी इकट्ठा करेंगे. मुंह में, आंतों में या खाल पर मौजूद सूक्ष्म जीव किस तरह शरीर को प्रभावित करते हैं, ये सारी जानकारी इस रिसर्च में काम आएगी. इसी जानकारी की मदद से इनसे लड़ने की बेहतर दवाइयां तैयार की जा सकेंगी. कंपनी का शुरुआती लक्ष्य होगा कैंसर, डायबिटीज, मोटापे, दिल की बामारी या डिमेंशिया जैसी भयानक बीमारियों का इलाज करना.

पहले कैंसर का इलाज

वेंटर ने बताया कंपनी शुरुआत कैंसर के इलाज से करेगी. इसके लिए उन्होंने कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के कैंसर सेंटर के साथ हाथ मिलाया है. वहां इलाज के लिए आने वाले हर मरीज के जीनोम की सीक्वेंसिंग होगी. वहां हर साल 4000 से 5000 के बीच मरीज इलाज के लिए आते हैं. वेंटर ने कहा, "हमारा ध्यान सिर्फ बीमारियों पर नहीं है."

वह मानते हैं कि इन जानकारियों से यह समझने में मदद मिलेगी कि जिस तरह हम शरीर को पालते हैं, उसमें और प्रकृति के बीच किस तरह का संबंध है. उन्होंने बताया, "आपके जीनोम की जानकारी से हमें यह जानने का मौका मिलेगा कि आपके पूर्वजों की जेनेटिक संरचना कैसी थी, आपको उनसे क्या मिला है, आपकी याददाश्त किस तरह की है या आपमें चयापचय की प्रक्रिया कैसी है."

एसएफ/एएम (रॉयटर्स)