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बुरा संकेत है ब्रिटेन में यूकेआईपी का उभरना

ग्रैहम लुकस/एएम२१ नवम्बर २०१४

यूनाइटेड किंगडम इंडिपेंडेंस पार्टी ने दूसरे उपचुनावों में भी जीत हासिल कर ली है. यूरोपीय चुनावों में मजबूती से उभरने के बाद पार्टी का जीतना यूरोप विरोधी भावनाएं बढ़ने का संकेत हैं, कहना है डीडबल्यू के ग्रैहम लुकस का.

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तस्वीर: Reuters/S. Plunkett

ब्रिटेन और यूरोप के इतिहास में यूकेआईपी की जीत अहम मोड़ साबित हो सकती है. इसके कारण अब ब्रिटेन यूरोपीय संघ छोड़ने के एक कदम और करीब हो जाएगा. धुर दक्षिणपंथी यूकेआईपी के जीतने के दो कारण हो सकते हैं. पहला कि पार्टी पूर्वी यूरोप से आने वाले प्रवासियों और ईयू में लोगों के अबाधित आने जाने का विरोध करती रही है. और दूसरा कारण है लोगों का केंद्र सरकार और संसद में स्थापित पार्टियों से मोहभंग. यूकेआईपी और उन्हीं के धुर दक्षिणपंथियों को मनाने के लिए कैमरन ने 2017 में ब्रिटेन के ईयू में बने रहने पर जनमत संग्रह करवाने का वादा किया.

पिछले करीब एक दशक से यूरोप के मुद्दे पर लेबर पार्टी का दृष्टिकोण डगमग है और जनमत सर्वेक्षणों के मुताबिक उन्हें सरकार बनाने के लिए वामपंथी रुझान वाली और यूरोप समर्थक स्कॉटिश नेशनलिस्ट पार्टी के सहयोग की जरूरत होगी. एसएनपी ने हालांकि कहा है कि वह स्कॉटलैंड के अलग होने के बारे में एक और जनमत संग्रह करेगी.

यानि दो संभावनाएं बनती हैं. या तो ब्रिटेन यूरोपीय संघ से बाहर हो जाएगा या फिर युनाइटेड किंगडम टूट कर लिटिल इंग्लैंड रह जाएगा. इसमें से अगर कुछ भी सच होता है तो वह यूरोप के लिए बड़ा नुकसान होगा, राजनैतिक और आर्थिक दोनों तरह से. धुर दक्षिणपंथियों को शांत करने के लिए प्रधानमंत्री कैमरन यूरोपीय संधि में सुधारों की मांग कर रहे हैं. जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल सहित यूरोपीय नेता इस मांग से परेशान हैं. ऐसी आशंका बढ़ रही है कि ब्रिटेन ईयू छोड़ सकता है. लेकिन यह निश्चित ही एक बड़ी भूल होगी.

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ग्राहम लुकसतस्वीर: DW/P. Henriksen

यूरोपीय नेताओं को अगली ब्रिटिश सरकार के साथ यूरोपीय सुधारों के मुद्दे पर सक्रियता के साथ बात करनी होगी क्योंकि ब्रिटेन की ओर से आई आलोचना पूरी तरह गलत नहीं है. मई में हुए यूरोपीय चुनावों में यह बात तो समझ में आई है कि सिर्फ ब्रिटेन ही यूरोप से नाराज नहीं है, कई यूरोपीय देशों में यह भावना सिर उठा रही है.

इतना ही नहीं यूरोप को कई नीतियों पर सहमति और स्पष्टता की जरूरत है, खासकर प्रवासन या वेलफेयर टूरिज्म. नहीं तो सामाजिक सुरक्षा प्रणाली पर बोझ बढ़ जाएगा. आंतरिक बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने की अड़चनों को भी खत्म किए जाने और यूरोपीय संघ की अर्थव्यवस्था में गति लाने की जरूरत है. अब जरूरी है कि जर्मन चांसलर मैर्केल सहित बाकी नेता भी ईयू के आलोचकों के मुद्दों पर बहस करें और जवाब ढूंढे ताकि ब्रिटेन के लोगों सहित आम यूरोपीयाई भी माने कि सफल यूरोपीय संघ उन्हीं के फायदे के लिए है.