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"बुलेट ट्रेन छोड़िए, पहले पटरियां तो सुधार लीजिए"

२१ नवम्बर २०१६

उत्तर प्रदेश में कानपुर के पास रविवार तड़के हुए रेल हादसे में 142 लोग मारे गए हैं और 200 से ज्यादा घायल हुए हैं. राहतकर्मियों ने घटनास्थल पर खोज और बचाव का काम पूरा कर लिया है.

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Indien Zugunglück
तस्वीर: Reuters/J. Prakash

इस हादसे को भारत में 2010 के बाद सबसे बड़ा रेल हादसा बताया जा रहा है. रविवार को 23 डिब्बों वाली इंदौर-राजेन्द्र नगर एक्सप्रेस ट्रेन इंदौर से पटना जा रही थी. जब इसके 14 डिब्बे पटरी से उतरे, तो ज्यादातर मुसाफिर सो रहे थे. इस हादसे से भारत में एक बार फिर रेलवे सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े होते हैं. भारत के करोड़ों लोगों की जीवनरेखा कही जाने वाली भारतीय रेल समय समय पर हादसों के कारण सुर्खियों में रही है.

भारतीय रेल दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है जिसमें से ज्यादातर अंग्रेजों के जमाने में बना था. भारतीय रेलों में हर दिन 2.3 करोड़ लोग सफर करते हैं. लेकिन इसकी हालत बहुत खस्ता है. भारतीय ट्रेनों की औसत रफ्तार 50 किलोमीटर प्रति घंटा है और अक्सर हादसों की खबर मिलती रहती है.

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पुलिस ने कहा है कि घटनास्थल पर राहत टीमों ने शवों को खोजने का काम समाप्त कर दिया है. पुलिस अधिकारी जकी अहमद ने बताया, "राहत कार्य पूरा हो गया है. अब हमें कोई और शव मिलने की उम्मीद नहीं है."

यह हादसा फिर इस बात की याद दिलाता है कि भारतीय रेल का कायापलट करने का वादा निभाना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए कितना मुश्किल काम है. मोदी ने इसी साल रेलवे में भारी निवेश का एलान किया था. सरकार जापान के सहयोग से तेज रफ्तार वाली नई रेल लाइनें बनाने पर भी काम कर रही है. लेकिन मौजूदा पटरियों को आधुनिक बनाने और उन पर नए सिग्नल उपकरण लगाने का काम बहुत धीमी रफ्तार से हो रहा है.

पिछले साल जापान ने भारत की पहली बुलेट ट्रेन के लिए उसे 12 अरब डॉलर का आसान ऋण देने पर सहमति जताई थी, लेकिन योजना अभी बेहद शुरुआती चरण में है. बसपा प्रमुख मायावती का कहना है कि प्रधानमंत्री को बुलेट ट्रेन पर अरबों खरबों रुपया खर्च करने से पहले पटरियों की मरम्मत पर ध्यान देना चाहिए.

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दूसरी तरफ रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने सोमवार को लोकसभा में शोर शराबे के बीच कहा कि हादसे की पूरी जांच होगी और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा. उन्होंने कहा, "सभी संभावित पहलुओं की जांच के लिए फॉरेंसिक जांच के आदेश दिए गए हैं. जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ सख्त से सख्त कदम उठाए जाएंगे." 2012 की एक सरकारी रिपोर्ट कहती है कि भारत में हर साल रेल हादसों में 15 हजार लोग मारे जाते हैं.

एके/आरपी (एएफपी, रॉयटर्स)