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बुश ने मानी इराक यु्द्ध की गलतियां

३ नवम्बर २०१०

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने माना है कि इराक युद्ध में उनसे कई भारी गलतियां हुईं. उनके मुताबिक उनके कार्यकाल के आखिरी दिनों में उन्होंने खुद को एक डूबते जहाज के कप्तान जैसा महसूस किया.

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तस्वीर: AP

अपनी नई किताब में बुश ने कई ऐसे मुद्दों पर चर्चा की है जिन्हें लेकर उनके विरोधी उन पर हमले करते रहे हैं. इनमें इराक युद्ध सबसे अहम है. इराक पर उन्होंने यह कहकर हमला किया कि वहां व्यापक विनाश के हथियार हैं. हालांकि सालों लड़ाई चली, इराकी राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन की सत्ता को उखाड़ फेंका गया, उन्हें गिरफ्तार कर फांसी पर चढ़ा दिया गया, लेकिन हथियार नहीं मिले.

Türkei zieht Truppen an der Grenze zu Irak zusammen Panzer
तस्वीर: AP

अब बुश ने लिखा है कि जब हथियार नहीं मिले तो उन्हें बहुत निराशा हुई. अपनी नई किताब डिसिजन पॉइंट्स में बुश लिखते हैं, "इराक युद्ध के दौरान वहां तैनात सैनिकों की संख्या में इतनी जल्दी कमी करना सबसे बड़ी असफलता रही." बुश की यह किताब अगले हफ्ते बाजार में आ रही है.

पूर्व राष्ट्रपति बुश ने किताब में इस बात को भी उजागर किया है कि उन्होंने उप राष्ट्रपति डिक चेनी को हटाने के बारे में सोचा था. 2003 में चेनी ने पद छोड़ने की पेशकश की ताकि बुश 2004 के चुनावों के लिए अपना कोई और साथी चुन सकें. बुश ने इस पेशकश पर विचार भी किया. वह लिखते हैं, "चेनी ने अहम हिस्सों में मदद की लेकिन वह मीडिया और वामपंथियों के निशाने पर आ गए थे. उनका इस्तीफा स्वीकार करके मैं दिखा सकता था कि मैं ही इंचार्ज हूं लेकिन फिर मैंने ऐसा न करने का फैसला किया."

बुश लिखते हैं कि चेनी उनके प्रशासन में अंधेरे हिस्से की तरह हो गए थे लेकिन उन्होंने चेनी को न हटाना ही बेहतर समझा. बुश ने लिखा है, "जितना ज्यादा मैंने इस बारे में सोचा, उतना ज्यादा मैंने महसूस किया कि चेनी को बने रहना चाहिए. मैंने उन्हें राजनीतिक फायदा उठाने के लिए नहीं चुना था बल्कि काम में मदद के लिए चुना था. यही उन्होंने किया भी. इसलिए मैंने डिक से कहा कि तुम रहो."

बुश को अपने कार्यकाल के आखिरी दिनों का काफी अफसोस है. उस दौरान आर्थिक मंदी से निबटते हुए उन्हें ऐसा लग रहा था कि वह किसी डूबते जहाज के कप्तान हैं.

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः एन रंजन

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