1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

बेटियों को नहीं पढ़ाने की कीमत 30,000 अरब डॉलर

१२ जुलाई २०१८

दुनिया के कई सारे हिस्सों में बेटियों को स्कूल नहीं भेजा जाता. वर्ल्ड बैंक का कहना है कि बेटियों को शिक्षा नहीं देने की कीमत दुनिया को हजारों अरब डॉलर के रूप में चुकानी पड़ रही है.

https://p.dw.com/p/31LMg
Indien Murbad Unterricht zu Menstruations Mythen
तस्वीर: Thomson Reuters Foundation/R. Srivastava

ये खर्च उनकी आय और भागीदारी न होने के कारण उत्पादन में कमी का नतीजा है. वर्ल्ड बैंक का कहना है कि उत्पादन में कमी और आय की संभावना के बावजूद दुनिया भर में 13 करोड़ लड़कियों को स्कूल नहीं भेजा जाता. स्कूली शिक्षा पूरी करने वाली महिलाओं के आम तौर पर काम करने की संभावना होती है और उनकी कमाई उन लोगों से कम से कम दोगुनी होती है जिन्होंने पढ़ाई नहीं की है.

वर्ल्ड बैंक की नई रिपोर्ट के अनुसार 6 से 17 साल की उम्र की करीब 13 करोड़ लड़कियां स्कूल नहीं जातीं. गरीब देशों में दो तिहाई बच्चियां प्राइमरी स्कूली शिक्षा पूरा नहीं करती और सिर्फ एक तिहाई लोवर सेकंडरी स्कूल की पढ़ाई पूरी करती है.

वर्ल्ड बैंक के अनुसार यदि हर लड़की को 12 साल की स्तरीय स्कूली शिक्षा मिले तो महिलाओं की कमाई साला 15000 से 30000 अरब डॉलर हो जाएगी. इसका दूसरा असर ये होगा कि बाल विवाहों में कमी आएगी, आबादी में तेज वृद्धि वाले देशों में जनसंख्या दर गिरेगी और बाल मृत्यु दर और कुपोषण के मामलों में भी कमी आएगी. वर्ल्ड बैंक की सीईओ क्रिस्टालीना गियोर्गिएवा ने कहा, "हम लैंगिक असानता को वैश्विक विकास की राह में बाधा नहीं बनने दे सकते."  

Indien Kaschmir Nomadenvolk Bakarwal
तस्वीर: Getty Images/AFP/S. Hussain

रिपोर्ट के मुख्य लेखक क्वेंटिन वोदोन ने कहा कि लड़कियों को शिक्षा देने के फायदे हायर सेकंडरी शिक्षा के स्तर पर प्राइमरी शिक्षा से ज्यादा हैं. उन्होंने कहा, "हमें इस बात को सुनिश्चित करने की जरूरत है कि सभी लड़कियां प्राइमरी शिक्षा पूरी करें, लेकिन यह काफी नहीं है." रिपोर्ट के अनुसार उच्च स्कूली शिक्षा पूरी करने वाली महिलाओं के पार्टनर के हाथों हिंसा का शिकार होने या बच्चों के कुपोषण का शिकार होने का जोखिम कम होता है. उनके स्कूल जाने की संभावना भी ज्यादा होती है.

पाकिस्तान की नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला युसूफजई ने भी लड़कियों को शिक्षा दिए जाने का समर्थन किया है. उन्होंने कहा, "यदि 13 करोड़ लड़कियां इंजीनियर, पत्रकार या सीईओ बनने में असमर्थ रहती हैं क्योंकि शिक्षा उनकी पहुंच से बाहर थी, तो हमारी दुनिया को अरबों डॉलर का नुकसान होता है." 15 साल की उम्र में तालिबान के हमले का शिकार होने वाली मलाला ने कहा कि वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट दिखाती है कि लड़कियों की शिक्षा में निवेश में और देरी नहीं की जानी चाहिए.

एमजे/एके (रॉयटर्स थॉम्पसन)

रोजाना 20 हजार नाबालिग बनती हैं दुल्हन