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बैंगलोर टेस्ट का पैगाम

१३ अक्टूबर २०१०

बैंगलोर टेस्ट के बाद टेस्ट रैंकिंग में भारत का पहला स्थान और पक्का हो गया है, और ऑस्ट्रेलिया पहली बार पांचवें स्थान पर उतर आया है. इसके अलावा और कई दृष्टि से इस मैच के आंकड़े दिलचस्प रहे हैं.

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सबसे आगे सचिनतस्वीर: AP

इस जीत के बाद भारत को तीन अंक मिले और दूसरे स्थान की टीम दक्षिण अफ्रीका के 119 अंकों के मुकाबले उसके 130 अंक हो गए हैं. ऑस्ट्रेलिया के तीन अंक घट गए और अब वह चौथे स्थान पर इंगलैंड के 112 अंकों से दो अंक पीछे पांचवें नंबर पर हो गया है. भारत के लिए यह तीसरा मौका है जब उसने बांगलादेश और जिम्बाबवे के अलावा बाकी किसी टीम के खिलाफ क्लीन स्वीप किया हो.

वहीं ये सीरीज ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट के लिए कुछ शर्मिंदगी के पल लेकर आई है. 28 साल बाद कंगारू टीम सीरीज के सभी मैचों में हारी है. साथ ही यह उसके लिए यह 1988 के बाद टेस्ट मैचों की हार की हैट्रिक रही.

Ricky Ponting Mannschaftskapitän Cricket Australien
भारत में कोई जीत नहींतस्वीर: AP

इस मैच के बाद बैंगलोर का मैदान भी भारत के लिए मनहूसियत का तकमा खो सका. यहां हुए 18 मैचों में भारत की इससे पहले सिर्फ चार बार जीत हुई थी. 1995 के बाद यह उसकी पहली जीत थी.

बैंगलोर में सचिन धुंआधार नए रिकॉर्ड बनाते रहे, लेकिन उसके साए में कम से कम दो युवा खिलाड़ी उभरे. पहली पारी में मुरली विजय ने अपना पहला शतक बनाया, लंबे समय से जिसका इंतजार किया जा रहा था. दूसरी पारी में लक्ष्मण की जगह खेलने आए चेतेश्वर पुजारा ने अपने पहले टेस्ट में शानदार 72 रन बनाए, जिसकी वजह से बैंगलोर का मुकाबला मोहाली की तरह कांटे का नहीं रहा. जीवन के पहले टेस्ट में किसी भारतीय खिलाड़ी का यह दूसरी पारी में दूसरा सर्वोच्च स्कोर है, सिर्फ अब्बास अली बेग का 112 का स्कोर इससे आगे है.

Zaheer Khan
बोलिंग में पहले नंबर परतस्वीर: AP

मुरली विजय और चेतेश्वर पुजारा की पारियों से एक और महत्वपूर्ण संकेत मिलता है. भारत के बेहतरीन बल्लेबाजों की एक समूची पीढ़ी आने वाले सालों में रिटायर होने जा रही है. पहले रैना, और अब इन दोनों के खेल से उम्मीद बनती है कि बल्लेबाजी में भारत का बर्चस्व आगे भी बना रहेगा.

मोहाली और बैंगलोर के मैचों में एक और बात उभरी है, जिसकी ओर शायद बहुतों की नजर नहीं गई है. बेशक, सचिन बाकी खिलाड़ियों से काफी आगे रहे, लेकिन भारत के बल्लेबाजों ने मोहाली में पांच अर्धशतक लगाए और बैंगलोर में एक दोहरा शतक, एक शतक व एक अर्धशतक बनाए. भारत की ओर से जहीर ने 12, भज्जी ने 11 व ओझा ने 9 विकेट लिए, साथ ही ईशांत ने भी तीन, श्रीसंथ ने दो और रैना ने एक विकेट का योगदान दिया. फील्डिंग में भी नए खिलाड़ियों की चुस्ती देखने को मिली. ये सारी बातें आने वाले दिनों में दलगत भावना को आगे बढ़ाने में योगदान दे सकती हैं.

एक और रिकॉर्ड. शुरू के सालों में कप्तानी की सफलता का नया रिकॉर्ड बनाने वाले रिकी पोंटिंग अभी तक भारत में एक भी मैच नहीं जीत पाए हैं. उनकी कप्तानी पर सवालिया निशान लगना शुरू हो गया है. और भारतीय कप्तान धोनी टॉस हारने का रिकॉर्ड कायम करने के रास्ते पर हैं, टेस्ट सीरीज न हारने का रिकॉर्ड उनके नाम हो चुका है.

रिपोर्ट उज्ज्वल भट्टाचार्य

संपादन: ओ सिंह