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बोतलों में बंद हड्डियों का राज

२ जुलाई २०१३

कंबोडिया के घने जंगलों में सदियों से बोतलों में बंद हड्डियां और दर्जनों ताबूत उन लोगों का राज समेटे हैं, जो अंकोर काल में यहा रहा करते थे. आखिर हड्डियों को बोतलों में बंद करके क्यों रखा गया.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

कारावन पहाड़ों पर कोई 100 मीटर की ऊंचाई पर बोतलों में बंद हड्डियों ने जानकारों को भी परेशानी में डाल रखा है. नैंसी बेवन पिछले सात साल से इसका जवाब तलाशने में लगी हैं. वह कार्बन डेटिंग की एक्सपर्ट हैं. वह दक्षिण पश्चिम कंबोडिया में 10 जगहों की पड़ताल कर रही हैं.
न्यूजीलैंड की बेवन का कहना है कि कुछ हड्डियां तो छठी सदी की हैं, "आखिर उन्होंने इन्हें बोतलों में क्यों रखा. कंबोडिया के दूसरे हिस्सों में तो इस तरह की रिवायत नहीं थी." नोम पेल्ह के पास 10 बोतलें मिली हैं, जो 15वीं से 17वीं सदी के बीच की हो सकती हैं. इसी तरह 12 ताबूत का भी पता चला है, जिनमें सबसे पुरानी 14वीं सदी की बताई जाती है.
समझा जाता है कि इनमें से कुछ सियाम के साम्राज्य (अब थाइलैंड) से आए. कुछ और अंकोर साम्राज्य के हो सकते हैं. इन्होंने लगभग छह सदी तक यहां राज किया और मशहूर अंकोर वाट मंदिर भी उन्होंने ही बनवाया.
लेकिन जानकार यह नहीं समझ पा रहे हैं कि बौद्ध धर्म को मानने वाले देश में हड्डियों को क्यों सहेज कर रखा गया, जबकि वहां लाशों के अंतिम संस्कार की परंपरा रही है.
कंबोडियाई चीनी मिट्टी के जानकार टेप सोखा का कहना है कि ये मर्तबान बेहद अच्छी क्वालिटी के हैं और इन पर खुदे हुए नंबर बताते हैं कि यह एक पवित्र परंपरा रही थी. गांववालों ने इस मामले में रिसर्च करने के लिए बेवन को बहुत मदद की है. बेवन का कहना है, "ये ताबूत अनोखे हैं. कंबोडिया में इस तरह की दूसरी मिसाल नहीं है. इन्हें कभी भी छेड़ा नहीं गया है."
उनकी थ्योरी में एक यह भी है कि हड्डियां खमेर जाति के लोगों की रही होंगी, जो अंकोर साम्राज्य के दौरान उनसे दूर पहाड़ियों में रहा करते थे. ये लोग नौवीं से 15वीं सदी के बीच मौजूद थे. बेवन का कहना है, "क्या पता, हो सकता है कि ये गुलाम होंगे और अंकोर साम्राज्य से भाग कर यहां पहुंचे होंगे."
इस मामले की जांच में 2005 में एक नया मोड़ आया, जब मछुआरों को इसी तरह का मर्तबान समुद्र में मिला. इसके साथ उन्हें हाथी दांत और चीन के चीनी मिट्टी के बर्तन भी मिले. इसके बाद इस बारे में जानकारी हासिल करने में आसानी हुई कि ये मर्तबान इन पहाड़ियों तक कैसे पहुंचे. बेवन का कहना है कि हो सकता है कि सियाम साम्राज्य से आने वाले जहाजों से ये मर्तबान यहां पहुंचे और उनका सौदा हाथी दांत और महंगी लकड़ी के लिए किया जाता होगा.
लेकिन यहां किसी चीज को पक्के तौर पर कहना मुश्किल है. कंबोडिया उन देशों में शामिल है, जिन्होंने पानी के अंदर मिलने वाली चीजों के संरक्षण के लिए संयुक्त राष्ट्र की संधि पर दस्तखत किए हैं. अधिकारियों का कहना है कि वे पानी के अंदर से मिली चीजों के लिए म्यूजियम बनाने पर विचार कर रहे हैं.
इस प्रांत में पिछले साल करीब एक लाख पर्यटक पहुंचे, जो पहाड़ की खूबसूरती देखने आए. पिछले दो साल से यूनेस्को इन पहाड़ियों को बायोस्फेयर रिजर्व में शामिल करने पर विचार कर रहा है. जहाज के टूटे टुकड़े, पवित्र मर्तबान और ताबूतों की वजह से इलाके की पूछ और बढ़ गई है.
कंबोडिया में यूनेस्को की निदेशक अने लेमेस्तेर के मुताबिक, "कुछ नहीं करना एक अपराध होगा."
एजेए/एनआर (डीपीए)

East Smithfield Gerippe
तस्वीर: London Museum of Archeology
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