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ब्राजील की पहली महिला राष्ट्रपति ने ली शपथ

१ जनवरी २०११

ब्राजील में आज देश की पहली महिला राष्ट्रपति डिल्मा रूसेफ ने पद संभाला जबकि अत्यंत लोकप्रिय राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा ने आठ साल के कार्यकाल के बाद पद छोड़ा. लूला ने डिल्मा का पूरी तरह समर्थन किया था.

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डिल्मा की विजयतस्वीर: AP

डिल्मा रूसेफ को स्थानीय समय के अनुसार सवा दो बजे (भारतीय समय से रात पौने 10 बजे) चार साल के राष्ट्रपति पद की शपथ ली. उसके बाद वे खुली रॉल्स रॉयस कार में राजधानी की सड़कों से होती हुई ब्राजील की कांग्रेस के बाद राष्ट्रपति भवन पहुंच रही हैं. लूला दा सिल्वा और डिल्मा रुसेफ उसके बाद शपथ समारोह में भाग लेने पहुंचे मेहमान राष्ट्रपतियों का स्वागत करेंगे.

डिल्मा रूसेफ का राष्ट्रपति पद का शपथ लेना लूला दा सिल्वा के लिए भावनात्मक विदाई रही. कभी किशोरावस्था में जूता पॉलिश कर गुजर बसर करने वाले और बाद में धातु मजदूर रहे लूला दा सिल्वा ने दिखाया कि उनके देश में गरीबी के बावजूद सर्वोच्च संवैधानिक पद पर जाना संभव है.

ट्रेड यूनियन वाली वामपंथी पृष्ठभूमि के कारण लूला दा सिल्वा का ब्राजील का राष्ट्रपति बनना आसान नहीं रहा. लेकिन अपने कार्यकाल में उन्होंने खाइयों को पाटने का प्रयास किया और उनका कार्यकाल देश में बढ़ती समृद्धि के लिए याद किया जाएगा जिसके दौरान ब्राजील का महत्व अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी बढ़ा.

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तस्वीर: AP

63 वर्षीय डिल्मा रूसेफ का राजनीतिक करियर गुरिल्ला लड़ाके के रूप में शुरू हुआ. बाद में उन्होंने अर्थशास्त्र की पढ़ाई की और लूला दा सिल्वा के राष्ट्रपति बनने पर उनकी चीफ ऑफ स्टाफ रहीं. रूसेफ ने लूला दा सिल्वा की नीतियों को जारी रखने की घोषणा की है जिसकी वजह से ब्राजील पिछले सालों में प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्था बन गया है. उन्होंने गरीबों और अमीरों की खाई को कम करने को अपनी प्राथमिकता बताया है, लेकिन 2014 में फुटबॉल विश्वकप और 2016 में ओलंपिक खेलों का सफल आयोजन उनकी सबसे बड़ी चुनौती होगी.

इसके अलावा दुनिया में तेजी से आगे बढ़ रहे ब्राजील को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लूला के कुछ फैसलों को आगे बढ़ाने का जोखिम भी डिल्मा पर होगी. आखिरी दिनों में लूला ने अमेरिका की जम कर आलोचना की है और ब्राजील में गिरफ्तार इटली के नागरिक के प्रत्यर्पण से इनकार कर वे इटली को नाराज कर चुके हैं.

भारत के साथ ब्राजील भी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता का प्रमुख दावेदार है और नए राष्ट्रपति पर अंतरराष्ट्रीय मंच पर संतुलन बनाने की जिम्मेदारी होगी.

रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा

संपादन: ए जमाल

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