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ब्रेक्जिट से कैसे निपटेंगी ब्रिटेन की नई पीएम

आरपी/ओएसजे (एपी,रॉयटर्स)१४ जुलाई २०१६

ब्रिटेन के ईयू से बाहर निकलने की प्रक्रिया के बारे में सोचने के लिए नई ब्रिटिश प्रधानमंत्री थेरेसा मे ने वक्त मांगा है. जर्मन चांसलर और फ्रेंच राष्ट्रपति से बातचीत में जताया जल्दबाजी में ब्रेक्जिट नहीं करवाने का इरादा.

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Großbritannien Theresa May und Boris Johnson
तस्वीर: Getty Images/AFP/P. Ellis

एक तरफ यूरोप की दो सबसे शक्तिशाली अर्थव्यवस्थाओं जर्मनी और फ्रांस से बातचीत कर पीएम थेरेसा मे ब्रेक्जिट के लिए और वक्त लेना चाहती हैं. तो दूसरी तरफ, वे अपनी सरकार में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां कुछ प्रमुख यूरोस्केप्टिक नेताओं को सौंप रही हैं. बुधवार शाम को जर्मन चांसलर मैर्केल और फ्रेंच राष्ट्रपति ओलांद से बातचीत में पीएम मे ने ब्रेक्जिट पर वार्ता शुरू करने से पहले अपनी सरकार के लिए और समय की मांग की.

मे की प्रवक्ता ने बताया, "सभी फोन वार्ताओं में प्रधानमंत्री ने ब्रिटिश जनता के यूरोपीय यूनियन छोड़ने के निर्णय को लेकर अपनी प्रतिबद्धता पर जोर दिया." लेकिन साथ ही उन्होंने इसकी वार्ताओं की तैयारी करने के लिए वक्त मांगा और उम्मीद जताई की बातचीत सृजनात्मक और सकारात्मक माहौल में हो.

'दोस्ताना संबंधों का भावना'

नेताओं की बातचीत में मैर्केल ने नई ब्रिटिश प्रधानमंत्री को नया पद संभालने की बधाई दी. चांसलर के प्रवक्ता स्टेफेन जीबेर्ट ने बताया कि दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय दोस्ताना संबंधों को बरकरार रखते हुए ईयू से ब्रिटेन के बाहर होने की प्रक्रिया आगे बढ़ाने पर सहमति जताई. थेरेसा मे ने औपचारिक वार्ता प्रारम्भ करने से पहले ईयू से वक्त मांगते हुए ये भी कहा कि ब्रिटेन जल्द से जल्द इस बात पर साफ राय बनाएगा कि वो ईयू के साथ किस तरह के संबंध चाहता है.

ब्रेक्जिट के जबरदस्त हिमायती रहे बोरिस जॉनसन भले ही कई लोगों को एक कॉमिक चरित्र जैसे लगें, लेकिन नई प्रधानमंत्री ने इस पूर्व पत्रकार में गहरा विश्वास दिखाया है. फ्रेंच राष्ट्रपति ने पीएम थेरेसा मे से बातचीत के बाद "सभी क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों को विकसित करने के लिए सक्रिय रूप से काम करने" की बात कही.

लेकिन ब्रसेल्स को है जल्दी

पीएम का पद संभालते ही मे को यूरोपीय संसद के अध्यक्ष मार्टिन शुल्त्ज और यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष जॉं क्लोद युंकर की ओर से ब्रेक्जिट वार्ता को लंबित ना करने की अपील का दबाव झेलना पड़ा.

औपचारिक रूप से यह प्रक्रिया शुरू करने के लिए थेरेसा मे को लिस्बन संधि के आर्टिकिल 50 को लागू करना होगा. इसी के साथ यूके के ईयू से बाहर निकलने के दो साल की अवधि वाली प्रक्रिया शुरू हो जाएगी.

पीएम मे ने अपनी कैबिनेट में प्रमुख यूरोस्केप्टिक कंजर्वेटिव नेता डेविड डेविस को ब्रेक्जिट की शर्तों पर काम करने की जिम्मेदारी सौंपी है. पूर्व पीएम डेविड कैमरन के साथ ब्रिटेन के ईयू में बने रहने के लिए व्यापक प्रचार अभियान चलाने वाली थेरेसा मे ने अब ब्रेक्जिट की "लीव" कैंपेन के कट्टर समर्थक रहे बोरिस जॉनसन को विदेश मंत्री की भूमिका सौंप दी है. अंतरराष्ट्रीय व्यापार मंत्री नियुक्त किए गए लियाम फॉक्स भी ब्रिटेन के ईयू में रहने के विरोधी रहे हैं. 23 जून को हुए एक जनमत संग्रह के माध्यम से ब्रिटेन की 51 फीसदी जनता ने ब्रेक्जिट का रास्ता चुना था.