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ब्लॉग: भारत क्यों नहीं छोड़ सकता कश्मीर

निखिल रंजन
१६ अगस्त २०१९

खूबसूरत झीलें, केसर की क्यारियां, पहाड़ों से उतरता दूधिया पानी और दिल छू लेने वाले नजारे, कश्मीर के पास लोगों का दिल चुराने की तमाम वजहें हैं लेकिन भारत की बात और है उसके लिए तो यह दिल से ज्यादा दिमाग की जरूरत है.

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Kaschmir Dal-See in Srinagar
तस्वीर: Getty Images/AFP/T. Mustafa

वास्तव में अनन्य विस्तार वाले हिमालय के पहाड़ और ग्लेशियर भारत की सुरक्षा जरूरतों के लिए इसे अनिवार्य बनाते हैं. इसके साथ ही कश्मीर से निकलने वाली नदियों का पानी भारत के एक बड़े भूभाग की प्यास बुझाता है और बिजली दे कर जीवन को गतिशील रखता है. 

भारत और पाकिस्तान के लिए अहम बनने में कश्मीर की भौगोलिक स्थिति की बड़ी भूमिका है. खासतौर से भारत तो इस इलाके को छोड़ने का जोखिम कभी नहीं उठा सकता. कश्मीर को छोड़ने का मतलब है कि नियंत्रण रेखा और उसके आसपास के इलाकों में हिमालय के पहाड़ से जो उसे कवच जैसी सुरक्षा मिली है, वह छिन जाएगी. कश्मीर के बाद का इलाका पूरा समतल है और युद्ध की स्थिति में दुश्मन देशों के लिए लाव लश्कर समेत भारत के भीतरी हिस्से में पहुंचना बिल्कुल आसान हो जाएगा. उस जगह से दिल्ली की दूरी 400 से 500 किलोमीटर के दायरे में आ जाएगी साथ ही रास्ता सपाट और मैदानी होगा.

Indien Jharkhand | Arbeiten an einer der höchsten Straßen der Welt
तस्वीर: AFP/X. Galiana

प्राचीन काल में एशिया और यूरोप के बीच व्यापार का प्रमुख मार्ग रहा सिल्क रूट चीन और पाकिस्तान के बीच कश्मीर से होकर गुजरता है. यही रास्ता हमलावरों के लिए भी भारत तक पहुंचने का मार्ग रहा है और चीन इसे फिर से वन बेल्ट वन रोड परियोजना के तहत नए सिरे से विकसित करने की तैयारी में है. चीन भारत का प्रमुख प्रतिद्वंद्वी और पाकिस्तान के लिए बड़ा मददगार है.

1960 में जब चीन और भारत के बीच सीमा विवाद हुआ था तो उसी के कुछ वर्षों बाद 1965 में पाकिस्तान ने सिल्क रूट खोल दिया. इससे चीन और पाकिस्तान के बीच कारोबार बढ़ाने में भी बहुत मदद मिली. यहां गिलगित में एक आधुनिक हवाई अड्डा भी है जिसका नियंत्रण पूरी तरह से चीन के हाथ में है. चीन यहां से भारत के लिए मुश्किलें पैदा कर सकता है. वह भारत के अंदरूनी हिस्से तक पहुंच सकता है.

हिमालय के कारण भारत के उत्तरी क्षेत्र में जो सुरक्षा की स्थिति है वह पूरी तरह से सिल्क रूट के कारण नाकाम हो सकती है. इसके अलावा सियाचिन ग्लेशियर एक और इलाका है जो भारत के लिए कश्मीर को अहम बनाता है. फिलहाल यह भारत के नियंत्रण में है लेकिन यह अकेला ऐसा इलाका है जहां पाकिस्तान और चीन आपस में मिल कर भारत के लिए मुश्किल खड़ी कर सकते हैं. काराकोरम दर्रे के इस इलाके में अगर पाकिस्तान और चीन की सेना आपस में जुड़ जाती है तो भारत का पूरा उत्तरी फ्रंट खतरे में पड़ जाएगा. 

Indien Pakistan Kashmir Flusstal Zanskar und Indus River
तस्वीर: picture-alliance/dpa/P. Karel

सिर्फ इतना ही नहीं अगर कश्मीर एक स्वतंत्र देश बन जाए तो भी मुश्किलें कम नहीं होंगी. ऐसे में यह एक उग्र मुस्लिम चरमपंथियों की जमीन बन सकता है जो ना सिर्फ दक्षिण एशिया बल्कि उसके बाहर के मुल्कों के लिए भी मुसीबत खड़ी करेंगे. इसके नतीजे में देर सबेर विदेशी ताकतों को वहां दखल का न्योता मिल सकता है.

कश्मीर से बहने वाली नदियों में सिंधु एशिया की सबसे बड़ी नदियों में एक है. यह तिब्बत के पठारों से निकल कर मानसरोवर झील होते हुए लद्दाख के रास्ते गिलगित बल्तिस्तान से गुजरते हुए पाकिस्तान में दाखिल होती है. पाकिस्तान के बड़े हिस्से को हरियाली देने के बाद कराची में जा कर अरब सागर से मिलती है. सिंधु के अलावा झेलम, चेनाब, रावी, ब्यास और सतलुज भी इस इलाके से निकलने वाली बड़ी नदियां हैं. भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में हुए समझौते के तहत इनमें से ब्यास, सतलुज और रावी के पानी पर भारत को अधिकार मिला जबकि सिंधु, चेनाब और झेलम का पानी पाकिस्तान को दिया गया.

इन नदियों के पानी के बिना भारत का पंजाब और पाकिस्तान का आधे से ज्यादा हिस्सा प्यासा रह जाएगा. पेयजल और सिंचाई के साथ साथ यही पानी कई पनबिजली परियोजनाओं का भी मुख्य स्रोत हैं. अगर इन पर किसी एक देश का नियंत्रण हो जाए तो दूसरी की स्थिति बेहद खराब हो सकती है. पाकिस्तान को भले ही तीन नदियों का पानी मिलता है लेकिन भारत के नियंत्रण वाले कश्मीर से हो कर निकलने के कारण भारत के पास उसके हिस्से वाली नदियों पर भी रणनीतिक बढ़त है. विवाद की स्थिति में भारत इनका इस्तेमाल कर सकता है. सिंधु नदी के जल बंटवारे को लेकर हुई संधि पर ऐसी तलवार लटक ही रही है.

Paul Salopek in Pakistan
तस्वीर: Paul Salopek

अलग संस्कृति, भाषा, खान पान और रीति रिवाजों में बंटे भारत का सशक्त उत्तरी हिस्सा ही उसे देश के बाकी हिस्सों से जोड़े रखता है. देश के उत्तर पूर्व और दक्षिण के लोगों में भारत की साझी विरासत को लेकर वैसी भावना थोड़ी कम दिखाई देती है. ऐसी परिस्थितियों में यह समझना मुश्किल नहीं है कि कश्मीर के लिए भारत सिर्फ खूबसूरती का मसला नहीं है यह वो मजबूत धागा है जिसने उसके अलग अलग हिस्सों को उसके साथ जोड़ रखा है और जिसके ना होने पर उसकी एकजुटता खतरे में पड़ जाएगी.

हां यह स्वर्ग है और जिस शायर ने इसे धरती का अकेला स्वर्ग माना था वह भी गलत नहीं था, लेकिन यह ऐसा स्वर्ग है जिसकी भारत के लोगों को जीते जी जरूरत है, मरने के बाद नहीं.

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