1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

भारतीय चुनाव में अमेरिकी होमवर्क

१३ मई २०१४

भारत में सत्ता परिवर्तन होने जा रहा है, नौ चरणों में हुए चुनावों के बाद यह बात साफ होती दिख रही है. नरेंद्र मोदी दिल्ली की तरफ बढ़ रहे हैं, ऐसे में उनसे दूरी बनाए रखने वाले अमेरिका को नए सिरे से होमवर्क करना पड़ रहा है.

https://p.dw.com/p/1ByfW
तस्वीर: UNI

2002 में गुजरात में हुए दंगों के बाद राज्य के मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता नरेंद्र मोदी को अमेरिका समेत कुछ पश्चिमी देशों ने वीजा नहीं दिया. अब 12 साल बाद नरेंद्र मोदी भारत के आगामी प्रधानमंत्री बनते नजर आ रहे हैं. शुक्रवार को मतगणना होनी है. तमाम भारतीय न्यूज चैनलों के एक्जिट पोल के मुताबिक कांग्रेस की विदाई तय है. एनडीए आसानी से सरकार बनाने जा रहा है.

बदलती हवा देख अमेरिका भी मान रहा है कि अब उसे नरेंद्र मोदी के साथ काम करना होगा. भारत और अमेरिका के बीच हाल के बरसों में कई मतभेद उभरे. इनमें भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागड़े की गिरफ्तारी का विवाद सबसे ज्यादा चर्चा में रहा. देवयानी के मुद्दे पर अब भी संबंध सहज नहीं हो सके हैं. कारोबारी हित भी टकरा रहे हैं. वॉशिंगटन को चिंता इस बात की भी है कि जिस नेता का उन्होंने एक दशक तक विरोध किया उसके साथ संबंध कैसे सहज किए जाएं.

मतभेदों की इस पृष्ठभूमि के बीच सोमवार को अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा, "चुनाव के नतीजों का एलान होने के बाद बनने वाली नई सरकार पर हमारी नजर है. हम भारत के नए प्रशासन के साथ नजदीकी के साथ काम करेंगे ताकि आने वाले वर्षों को समान रूप से काया बदलने वाला बनाया जा सके."

भारत में इतने बड़े स्तर पर शांतिपूर्ण ढंग से हुए मतदान की अमेरिका राष्ट्रपति ने सराहना भी की, "मैं राष्ट्रीय चुनाव के समापन के लिए भारत के लोगों को बधाई देता हूं. भारत ने विश्व के लोकतांत्रिक इतिहास का सबसे बड़ा चुनाव करा कर उदाहरण भी पेश किया है."

सात अप्रैल से 12 मई तक हुए चुनावों में 50 करोड़ से ज्यादा मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया. 2014 के लोकसभा चुनावों में सबसे ज्यादा वोटिंग हुई.

ओएसजे/एसएफ (पीटीआई, एपी)