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"भारतीय मीडिया वापस जाओ"

५ मई २०१५

नेपाल में कई भारतीय टीवी चैनलों की कड़ी आलोचना होने लगी है. लोग उनकी कवरेज से इतने परेशान हो चले हैं कि वे भारतीय मीडिया को नेपाल से वापस जाने को कह रहे हैं.

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तस्वीर: DW/A.Singh Choudary

नेपाल के भूकंप प्रभावित इलाके में एक पीड़ित के सिर से खून बह रहा था. उसके पास एक भारतीय टीवी पत्रकार पहुंचा और सवाल किया, "आपको कैसा लग रहा है?"

एक और वाकया तब सामने आया जब राहत सामग्री के बंटवारे के दौरान मारपीट होने लगी. एक भारतीय टीवी चैनल का एक कैमरा इस मारपीट को दर्ज करता रहा. पत्रकार के सामने महिला की पिटाई होती रही. उसके सिर से खून बहने लगा. कैमरा इसे रिकॉर्ड करता रहा, ताकि एक्सक्लूसिव स्टोरी हो जाए. बाद में इस घटना को दिखाते वक्त महिला के आस पास लाल घेरा बन जाए. स्टूडियो में न्यूज प्रजेंटर चीख चीखकर कहने लगे कि ये तस्वीरें आप सिर्फ इसी चैनल पर देखेंगे.

नेपाल से सुरक्षित स्वदेश लौटे भारतीय भी भारत के टीवी चैनलों की कवरेज से आहत हैं. दुनिया और नेपाल में हर कोई इस बात से सहमत है कि ऐसी भीषण प्राकृतिक आपदा की घड़ी में भारत ने बड़ी तेजी और कुशल तरीके से काठमांडू की मदद की. लेकिन क्या भारतीय मीडिया जिम्मेदारी से काम करने में चूक गया? सोशल मीडिया पर फिलहाल #GoHomeIndianMedia नाम का हैशटैग चर्चा में है, इसका मतलब है, "भारतीय मीडिया वापस जाओ." ट्वीट के जरिए एक नेपाली नागरिक ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की है कि वो भारतीय मीडिया को वापस बुलाएं.

पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटर शोएब अख्तर ने ट्विटर पर एक तस्वीर पोस्ट की, जिसमें एक भारतीय पत्रकार नेपाल के सुरक्षाकर्मियों से उलझते दिख रहे हैं. ट्वीट के मुताबिक, सुरक्षाकर्मी ने कहा, "अपना पहचान पत्र दिखाओ." इसके जवाब में भारतीय पत्रकार ने कहा, "हमें रोकने वाला तू कौन है?"

शोएब से जब इस तस्वीर की विश्वसनीयता पूछी गई तो एक और यूजर ने लिखा कि यह सच्ची घटना है जो पोखरा में हुई. खबर में सनसनी और मसाला ढूंढने की आदत, कुछ टीवी पत्रकारों के लिए पैर पर कुल्हाड़ी मारने जैसी साबित हुई. वरिष्ठ पत्रकार शेखर गुप्ता के मुताबिक, "देशभक्त चैनल यह भूल गए कि नेपाल भारतीय राज्य नहीं है."

(Oops, see what's trending in Nepal, #GoHomeIndianMedia Anger at "patriotic" channels forgetting Nep not Indian state)

हर देश में विदेशी प्रेस के लिए खास कानून होते हैं. भारत और नेपाल के बीच खुली सीमा होने का यह मतलब नहीं है कि नेपाल में भारतीय प्रेस मनमुताबिक काम करेगी. सुरक्षा और संप्रभुता के मुद्दे पर हर देश को यह अधिकार है कि वह विदेशी प्रेस को एक सीमा में रखे. ऐसी आपदाओं के समय आम तौर पर ऐसी बातें नहीं सोची जाती, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि नियमों का उल्लंघन किया जाए.

ओएसजे/आरआर