1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

भारत और जर्मनी सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्य

३१ दिसम्बर २०१०

भारत और जर्मनी पहली जनवरी से सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्य बन रहे हैं. अगले दो सालों में वे अपनी सारी शक्ति दुनिया की सबसे ताकतवर संस्था संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्य बनने के लिए लगाएंगे.

https://p.dw.com/p/zrz2
भारत जर्मनी को मौकातस्वीर: AP/Montage: DW

"हम जर्मनी के साथ द्विपक्षीय और जी-4 में मिल कर काम करेंगे ताकि सुरक्षा परिषद के प्रभाव को बढ़ाया जा सके. हम संयुक्त राष्ट्र में सुधारों पर सहयोग करेंगे और सुरक्षा परिषद में स्थायी और अस्थायी सदस्यों की संख्या में विस्तार का समर्थन करेंगे."-मनमोहन सिंह, भारतीय प्रधानमंत्री

यह अजीब बात ही है कि जिस स्थायी सीट के लिए भारत कई सालों से जूझ रहा है, उसे कभी उसने खुद ठुकरा दिया था. 1955 में अमेरिका और सोवियत संघ की तरफ से भारत को सुपर फाइव में शामिल होने का प्रस्ताव मिला, लेकिन उस वक्त के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इससे किनारा कर लिया और चीन के लिए रास्ता साफ कर दिया. यह बात और मजेदार है कि अब भारत की कोशिशों में सबसे बड़ा अड़ंगा चीन की ही तरफ से लगता दिख रहा है.

"दो साल के लिए सुरक्षा परिषद में अस्थायी सदस्य के रूप में भारत के साथ मिल जुलकर काम करना अच्छा मौका साबित हो सकता है कि हम दोनों मिलकर सुरक्षा परिषद में सुधारों को आगे बढाएं. हालांकि यूएन के महासचिव सुधारों पर काम कर रहे हैं, लेकिन मेरे हिसाब से जरूरी हैं कि प्रभावित देश भी मामले को आगे बढाएं. हम दोनों अपने लक्ष्य को पाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. भारत को कई देशों से समर्थन हासिल है, अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा ने भी अपनी यात्रा में इसका समर्थन किया."-जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल

UN Sicherheitsrat Sitzung Flash-Galerie
तस्वीर: picture alliance/landov

ओबामा के अलावा फ्रांस और ब्रिटेन ने भी बहुत कुछ हां कर दी है. भारत ने संयुक्त राष्ट्र में सुधार को जोर शोर से बढ़ाने के लिए जी4 देशों का गठन किया है, जिसमें भारत के अलावा जर्मनी, जापान और ब्राजील भी शामिल हैं. जर्मनी का कहना है कि दुनिया की सबसे ताकतवर संस्था में दो महाद्वीपों अफ्रीका और लातिन अमेरिका का कोई प्रतिनिधित्व ही नहीं है और एशिया को भी ज्यादा तवज्जो नहीं दी गई है. बढ़ती आतंकवादी घटनाओं के खिलाफ रणनीति बनाने में सुरक्षा परिषद का बड़ा योगदान है. भारत पर हाल के दिनों में आतंकी घटनाओं के बाद उसका इस मुद्दे पर रोल अहम हो जाता है.

"भारत एक ऐसा देश है जो कई बार आतंकवाद के केंद्र में रह चुका है. जर्मनी ने मुंबई पर हुए आतंकवादी हमलों की कडी निंदा की है. हम भारत की पूरी मदद करना चाहते हैं कि इस तरह के क्रूर हमले दोबारा न हो और इसी सिलसिले में हम पाकिस्तान के साथ भी बातचीत करेंगे. आतंकवाद दुनियाभर में किसी समस्या का हल नहीं बन सकता है और हम ऐसा कतई स्वीकार नहीं करेंगे."-जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल

लेकिन सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता का रास्ता इतना आसान भी नहीं है. किसी भी सुधार के लिए इसे एक सौ बानबे देशों वाली महासभा में पास कराना होगा, जो इतना आसान नहीं और जिसमें अच्छा खासा वक्त भी लगेगा.

UN Milleniumsgipfel New York Angela Merkel Rede NO FLASH
तस्वीर: AP

यूएन सिक्योरिटी काउंसिल से जुड़े कुछ तथ्यः

- सुरक्षा परिषद का गठन 1946 में हुआ, जिसके स्थायी सदस्य किसी भी प्रस्ताव को नामंजूर कर सकते हैं.

- काउंसिल में 10 अस्थायी सदस्य होते हैं, जिनमें पांच हर साल हट जाते हैं. इस तरह हर दो साल पर सभी 10 सदस्य देश बदल जाते हैं.

- सबसे ज्यादा 123 बार वीटो का इस्तेमाल रूस और पूर्व सोवियत संघ ने किया है, अमेरिका ने 82 बार, ब्रिटेन ने 32 बार, फ्रांस ने 18 और चीन ने छह बार.

रिपोर्टः अनवर जे अशरफ

संपादनः महेश झा

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

और रिपोर्टें देखें