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भारत की सोलर कार चिली में दौड़ी

१७ नवम्बर २०१२

छोटे अंतरिक्ष यान जैसी दिखने वाली सौर कारों की चिली के अटाकामा रेगिस्तान में रेस आयोजित की गई. इसमें सौर ऊर्जा से चलने वाली 15 कारों ने हिस्सा लिया. इसमें भारत की कार भी थी.

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तस्वीर: MARTIN BERNETTI/AFP/Getty Images

रेस का उद्देश्य पता लगाना है कि कम कीमत वाली पर्यावरण के लिए फायदेमंद कारें कैसे बनाई जाएं. इस प्रतियोगिता में अर्जेंटीना, चिली, भारत और वेनेजुएला ने सोलर पैनल लगी एरोडायनामिक कारें पेश कीं. इन कारों को दुनिया के सबसे सूखे रेगिस्तान अटाकामा में 1,300 किलोमीटर की दूरी तय करनी है. दूसरी बार अटाकामा सोलर चैलेंज नाम की यह प्रतियोगिता आयोजित की गई. गुरुवार को शुरु हुई रेस सोमवार को खत्म होगी. इसमें हिस्सा लेने वाली कारें यूनिवर्सिटी के छात्रों ने बहुत कम बजट में तैयार की हैं.

इनमें से कुछ कारें तो सीधे सूरज की रोशनी से चलती हैं, जबकि दूसरी सोलर और पेडल हाइब्रिड कारें हैं.

सौर ऊर्जा से सीधे चलने वाली गाड़ियां सामान्य तौर पर सपाट, चौकोर यंत्र वाली होती हैं जिन पर सोलर पैनल लगे होते हैं. ये पैनल सूरज की रोशनी को ऊर्जा में बदलते हैं. इन्हें बैटरियों में जमा किया जाता है. ये कारें बिलकुल सामान्य कारों जैसी दिखती हैं, बस ऊपर सोलर पैनल चमकते रहते हैं.

गुरुवार को हम्बरस्टोन साल्टपेटर में रेस शुरू हुई. यह एक खाली शहर है जो सॉल्टपीटर खदानों पर रोक लगने के बाद से खाली पड़ा है.

इस साल पहली बार वेनेजुएला की टीम ने इस प्रतियोगिता में हिस्सा लिया है. टीम के कप्तान कार्लोस माटा ने कहा, "एक देश की जिसकी अर्थव्यवस्था ही तेल पर निर्भर हो. जहां पनबिजली की अथाह संभावनाएं हों और जहां ऊर्जा का कोई संकट न हो वहां ऐसी कार बनाना चमत्कार है. वेनेजुएला के आयात कानूनों के कारण हमें सभी जरूरी सामान नहीं मिल सकते थे इसलिए जो हमारे पास था उसी से हमें काम चलाना था."

Solarfahrzeugwettbewerb Atacama Solar Challenge in Chile
चिली में सोलर कारों की रेसतस्वीर: MARTIN BERNETTI/AFP/Getty Images

चिली यूनिवर्सिटी के डे ला सेरेना के टीम कप्तान कहते हैं कि चिली में सोलर गाड़ियां सामान्य राजमार्गों पर ही चलाई जा रही हैं लेकिन इन वैकल्पिक गाड़ियों को मुख्य धारा में लाना अभी दूर की कौड़ी है. हालांकि पिछले साल की रेस जीतने वाली टीम के सागुआस को उम्मीद है कि एक दिन चिली में सोलर कारों का व्यावसायिक उत्पादन हो सकेगा. "हमारे पास संसाधनों की कमी नहीं है बस हमें उन्हें विकसित करना है."

यूनिवर्सिटी ऑफ कंसेप्शन के गाब्रिएल मार्टिनेज ने अपनी गाड़ी को परफेक्ट बनाने में एक साल लगाया है. वह गर्व से बताते हैं, "इसमें 244 सोलर सेल हैं जो सूरज का प्रकाश लेते हैं और इसे बिजली में बदल कर बैटरी में स्टोर करते हैं. यह गाड़ी 300 किलोग्राम की है और इसकी सबसे ज्यादा बिजली 950 वॉट है. यह रेस शानदार है. यह सभी इंजीनियरिंग और तकनीक का इस्तेमाल करती है जो हमने खेल खेल में सीखी है. मुझे खूब मजा आता है."

चिली की कैथोलिक यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर लुचियानो चियांग सोलर मेकैन्ट्रोनिका टीम के सुपरवाइजर हैं. उनकी टीम भी चिली यूनिवर्सिटी की पांच टीमों में शामिल हैं. "सोलर पैनल का बाजार 90 फीसदी चीन का है. उन कीमतों का मुकाबला कोई नहीं कर सकता. लेकिन चिली दुनिया में एक ऐसा देश है जिसके पास सौर ऊर्जा इस्तेमाल करने की संभावनाएं सबसे ज्यादा हैं.

ठीक बैटरियों की ही तरह सोलर पैनल भी हम चीन से खरीदते हैं. इसमें लगा हुआ लिथियम निश्चित ही चिली का होता है."

रिपोर्टः आभा मोंढे (एएफपी)

संपादनः अनवर जे अशरफ

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