1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें
समाज

भारत के आदिवासियों ने अमेरिकी सैलानी को मारा

२१ नवम्बर २०१८

भारत के अंडमान द्वीपसमूहों के सुदूर इलाके में एक अमेरिकी सैलानी की हत्या हो गई है. पुलिस का कहना है कि सैलानी को जंगल में रहने वाले आदिवासियों ने तीर से मारा है. इन आदिवासियों के इलाके में जाने की सख्त मनाही है.

https://p.dw.com/p/38dSp
Indien Andamanen North Sentinel Island
नॉर्थ सेंटीनल आइलैंडतस्वीर: picture-alliance/AP Photo/G. Singh

27 साल के अमेरिकी नागरिक जॉन चाउ स्थानीय मछुआरों के साथ नाव पर नॉर्थ सेंटीनल द्वीप की तरफ गए थे. यहां कुछ आदिम समुदाय संसार से बिल्कुल अलग थलग प्राचीन तरीकों से अपना जीवन बिताते हैं. इनका बाहरी दुनिया से कोई संपर्क नहीं है. अधिकारियों का कहना है कि जैसे ही जॉन चाउ ने द्वीप पर कदम रखा आदिवासियों ने उन पर तीरों की वर्षा कर दी. हिंद महासागर के इन द्वीपों पर रहने वाले लोगों से संपर्क रखने की सरकार की तरफ से सख्त मनाही है. ये लोग खुद को नितांत अलग रखना चाहते हैं.

पुलिस ने हत्या का मुकदमा दर्ज किया है और सात आरोपियों को इस मामले में गिरफ्तार भी किया गया है. वरिष्ठ पुलिस अधिकारी दीपक यादव ने बयान जारी कर कहा है, "इस मामले में जांच जारी है." चाउ ने हाल के दिनों में कई बार अंडमान का दौरा किया था और स्थानीय मछुआरों को पैसे दे कर आखिरकार इस सुदूर इलाके में जाने में सफल हुआ.

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, "उसने 14 नवंबर को भी वहां जाने की कोशिश की थी लेकिन पहुंच नहीं पाया था. दो दिन बाद वह खूब तैयारी के साथ वहां गया, उसने बीच रास्ते में ही बोट छोड़ दी और कानू लेकर अकेला ही द्वीप पर चला गया. उस पर तीरों से हमला हुआ लेकिन वह चलता रहा. मछुआरों ने उसके गले में रस्सी बांध कर उसे घसीटते देखा. वे डर कर वहां से भाग गए और अगले दिन जब आए तो समुद्र किनारे उसका शव मिला."

अंडमान में 400 से ज्यादा जरावा समुदाय के लोग रहते हैं. सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि उन्हें बाहरी लोगों से डर लगता है. अकसर स्थानीय अधिकारियों को रिश्वत दे कर लोग उनके पास जाने की कोशिश करते हैं. हालांकि ये लोग इनके संपर्क में नहीं आना चाहते और उन्हें हमेशा यही लगता है कि बाहरी लोग उनके इलाके में घुस कर कब्जा कर लेंगे.

अंडमान के नॉर्थ सेंटीनल आइलैंड को भारतीय नौसेना की भी पहुंच से बाहर रखा गया है ताकि इन लोगों को बचाया जा सके. अब इनकी तादाद 150 के करीब ही है. कुछ साल पहले कुछ विदेशी लोगों ने इन आदिवासियों का वीडियो बना लिया था जिस पर काफी बवाल मचा था. 

एनआर/एमजे (एएफपी)

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी