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भारत चीन रोकेंगे बाघ का अवैध शिकार

१ सितम्बर २०१०

भारत और चीन बाघ संरक्षण की एक संधि का अनुमोदन करेंगे और जंगल के राजा के अवैध शिकार पर रोक लगाएंगे. वन्य जीवन प्रबंधन में पेईचिंग के साथ सहयोग बढ़ाने पर बातचीत के लिए एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल चीन में है.

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तस्वीर: picture alliance/dpa

एके श्रीवास्तव के नेतृत्व में भारत के वन अधिकारियों का पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल चीन के पांच दिनों के दौरे पर है. पेईचिंग में भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने लुप्तप्राय जीवों के आयात निर्यात के लिए प्रभारी मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बातचीत की है.

बातचीत का लक्ष्य 1995 में बाघ संरक्षण पर दोनों देशों द्वारा की गई संधि का अनुमोदन करना भी है. हर पांचवें साल नए सिरे से अनुमोदित की जाने वाली इस संधि पर गुरुवार को दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडलों के बीच चर्चा होगी. इसमें बाघों का अवैध शिकार करने वालों पर संयुक्त कार्रवाई, अवैध शिकार को रोकने के लिए शैक्षणिक कार्यक्रम, सुरक्षित ब्रीडिंग और उसके बाद बाघों को जंगल में छोड़ने जैसे प्रावधान हैं.

भारत इस बातचीत को अत्यंत महत्व देता है. भारत में बाघों के अवैध शिकार के बड़े हिस्से के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराया जाता है. बाघ की हड्डियों का उपयोग परंपरागत चीनी दवाओं में किया जाता है. हालांकि चीन ने बाघ के अंगों के व्यापार पर रोक लगा दी है लेकिन प्राचीन चिकित्सा प्रणाली में बाघ की हड्डियों के व्यापक उपयोग के कारण मांग बनी रहती है.

भारत ने इस पर जोर दिया है कि चीन को बाघ के अंगों के व्यापार पर प्रतिबंध उठाने की टाइगर फार्मो के मालिकों की मांगों के सामने नहीं झुकना चाहिए. वार्ता में वन्य जीवन प्रंबधन और संरक्षण के क्षेत्र में क्षमता निर्माण में सहयोग को बढ़ावा देने पर भी चर्चा होगी.

रिपोर्ट: पीटीआई/महेश झा

संपादन: ओ सिंह

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