1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

भारत ने आम से बनाई शराब

२९ अगस्त २०१०

उत्तरी भारत में शोधकर्ताओं ने आम से वाइन बनाई है. उन्हें उम्मीद है कि एक दिन यह वाइन पारंपरिक अंगूर से बनी वाइन को टक्कर दे सकेगी. उत्तर प्रदेश के वैज्ञानिकों ने तीन तरह के आमों को मिला कर उसमें नशा पैदा किया है.

https://p.dw.com/p/Oyy9
आम में नशातस्वीर: flickr/chooyutshing

उत्तर प्रदेश के वैज्ञानिकों ने दशहरी, लंगड़ा और चौसा आमों को मिला कर यह वाइन बनाई है. भारत आमों का सबसे बड़ा उत्पादक देश है और यहां करीब एक हज़ार किस्म के रसीले आम पैदा होते हैं. इस रिसर्च टीम का नेतृत्व करने वालीं नीलिमा गर्ग ने बताया, "हमने सोचा कि अगर फ्रांस, इटली और ऑस्ट्रेलिया ने वाइन उद्योग में अपना सिक्का जमा लिया है, खासकर इसलिए कि वे अंगूर उत्पादक देश हैं, तो हम अपनी खासियत का इस्तमाल क्यों नहीं कर सकते?हमारे इलाके में बहुत आम होते हैं. जैसे हर किस्म के आम का स्वाद अलग होता है हर वाइन का स्वाद भी अलग होगा."

भारत में हर तरह के आम मिलते हैं, सफेदा से लेकर चौसा तक और आमों का राजा अल्फांज़ो भी. वैज्ञानिकों के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी कि आमरस को इतना तरल करना कि उससे शराब बन सके. नीलिमा गर्ग ने बताया, "आम में खमीर लाना या उसका किण्वन करना मुश्किल नहीं है क्योंकि आम में बहुत शुगर होती है, जो कि अल्कोहल का मुख्य स्रोत है. लेकिन गाढ़ेपन को काबू में रखने के लिए सावधानी रखनी पड़ती है."

आम से बनी शराब हल्की सी पीली और मीठी होती है. इसमें 8-9 फीसदी अल्कोहोल है जो आम वाइन से थोड़ा कम है. भारत में अंगूर से वाइन पश्चिमी और दक्षिणी महाराष्ट्र में बनती है और कर्नाटक में भी. लखनऊ के वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि आम से बनने वाली वाइन के बाद ब्लैकबेरी और सेब से भी वाइन बनाई जा सकेगी. मनीष कस्तूरे दापोली में एक वैज्ञानिक टीम में हैं. वह सेब से बनी एक वाइन का पेटेंट बनाना चाहते हैं. आम से बनी वाइन का भी वह पेटेंट करवाएंगे लेकिन उसमें अभी वक्त लगेगा. वह कहते हैं कि उसे अभी और जहीन बनाने की जरूरत है.

कस्तूरे कहते हैं, "अंगूर की वाइन सारी दुनिया में मिलती है लेकिन यह वाइन स्वास्थ्य के लिए अच्छी है. इनमें ऑक्सीकरण रोकने वाले तत्व और विटामिन होते हैं."

वाइन के जानकार और दिल्ली वाइन क्लब के अध्यक्ष सुभाष अरोरा कहते हैं, "बिलकुल, आम से वाइन बनाई जा सकती है. सवाल सिर्फ गुणवत्ता, फ्लेवर, खराब होने और मार्किटिंग का है. इसके लिए मौके कम हैं. हिमाचल में कई तरह के फलों से वाइन बनाई जाती है लेकिन सेब की वाइन को छोड़ दें तो दूसरी शराब पीने लायक नहीं होतीं."

रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम

संपादनः वी कुमार

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

और रिपोर्टें देखें