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"भारत से सीखा पेपर बैग बनाना"

१९ मार्च २०१४

यूगांडा के एक बिजनेसमैन ने यूट्यूब के वीडियो देख देख कर कारोबार शुरू कर लिया. उन्होंने वीडियो के जरिए भारत से कागज के थैले बनाने का आइडिया सीखा.

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तस्वीर: DW

एंड्रयू मुपूया के देश में प्लास्टिक की थैलियों पर पाबंदी है. इसी बात ने उन्हें पेपर बैग बनाने के लिए प्रेरित किया. मुपूया ने शुरुआत यूट्यूब से की, जहां भारत ने उनकी मदद की. वह बताते हैं, "मैंने यूट्यूब वीडियो पर देखा कि लोग भारत में कैसे पेपर बैग बनाते हैं. मैंने वहीं से सीखा. मैंने एक नमूना बनाया. उसे लेकर बाजार गया और मुझे ऑर्डर मिलने लगे."

सिर्फ 21 साल के मुपूया के पास इस काम के लिए पैसे नहीं थे. लिहाजा उन्होंने सड़क पर बिखरी प्लास्टिक की बोतलें चुननी शुरू कीं. करीब 70 किलो बोतल चुनने पर उन्हें कोई 700 रुपये मिले. इतने पैसे से ही उन्होंने कारोबार खड़ा करने का फैसला किया, "हमने करीब 70 किलो बोतल चुन कर उन्हें रिसाइक्लिंग प्लांट में भेजा. लोग जब मुझे बोतल चुनते देखते थे, तो कहते थे कि मैं पागल हूं. लेकिन मुझे पता था कि मैं क्या कर रहा हूं."

आज उनकी कंपनी में 15 लोग हैं, जो हर हफ्ते करीब 20,000 पेपर बैग तैयार करते हैं. यूगांडा की छोटी दुकानें और सुपर मार्केट उनके थैलों को हाथों हाथ खरीद रहे हैं. लेकिन मुपूया के सामने दिक्कत यह है कि सारा काम हाथ से करना पड़ता है. एक थैली बनाने के लिए कागज में कम से कम नौ तह लगाने पड़ते हैं, जबकि कुछ जटिल थैलियां 32 फोल्ड के बाद तैयार होती हैं. मुपूया कहते हैं कि अगर कर्ज मिल जाए, तो मशीन खरीद लें, "मैं तो दुनिया का सबसे बड़ा पेपर बैग सप्लायर बनना चाहता हूं. लेकिन मैंने काम छोटे स्तर पर शुरू किया है. मुझे एक एक कर कदम बढ़ाना होगा."

हालांकि उन्हें उम्मीद है कि उनकी मेहनत रंग लाएगी और जिस तरह अभी वे केन्या से कागज मंगा रहे हैं, एक दिन विदेश से थैले बनाने वाली मशीन भी मंगा सकेंगे.

रिपोर्टः यूलिया हेनरिषमन/एजेए

संपादनः ओंकार सिंह जनौटी

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