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'ये पल बेहद तकलीफदेह: खेमका'

२ अप्रैल २०१५

भारतीय सिविल सेवा के अधिकारी अशोक खेमका को उनके 22 साल की सेवा में 45वीं बार स्थानांतरित कर दिया गया. माना जा रहा है कि महत्वपूर्ण व्यक्तियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले उजागर करने के कारण ही खेमका के साथ फिर ऐसा हुआ.

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तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/Saurabh Das

49 वर्षीय आईएएस अधिकारी अशोक खेमका बीते नवंबर से ही उत्तर भारतीय राज्य हरियाणा में ट्रांसपोर्ट कमिश्नर और विभाग सचिव के पद पर कार्यरत थे. अब उन्हें हटाकर लो-प्रोफाइल माने जाने वाले एक विभाग आर्कियोलॉजी एंड म्यूजियम विभाग में भेज दिया गया है. बीती रात राज्य की बीजेपी सरकार ने तुरंत प्रभाव से खेमका समेत 9 आईएएस अधिकारियों के ट्रांसफर का आदेश जारी कर दिया. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए खेमका ने अपने ट्विटर अकांउट में लिखा, "मैंने तमाम सीमाओं और आरोपित हितों के बावजूद ट्रांसपोर्ट विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार से निपटने और इसमें सुधार लाने की कड़ी कोशिशें कीं," खेमका आगे लिखते हैं कि "यह पल वाकई तकलीफदेह है."

खेमका सिविल सर्विस के ऐसे वरिष्ठ अधिकारी हैं जिन्हें बिना दबाव में आए बड़े बड़े राजनेताओं और बड़े भ्रष्टाचार के मामलों में टक्कर लेने के लिए जाना जाता है. केन्द्र में कांग्रेस पार्टी के शासनकाल में उन्हें कई बार स्थानान्तरित किया गया. 2012 में एक बड़े मामले में तो उन्होंने कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा के हरियाणा में ही कई करोड़ रूपए के जमीनी सौदे को रद्द कर दिया था. लेकिन अब उस समय खेमका का समर्थन करने वाली बीजेपी केन्द्र में सत्ता में है, तब भी खेमका को इस तरह निशाना बनाए जाने को लेकर काफी अचम्भा भी है. कुछ अधिकारियों के हवाले से समाचार संस्था एनडीटीवी ने कहा है कि ट्रांसपोर्ट मंत्री राम बिलास शर्मा के साथ खेमका का कुछ मतभेद हुआ जिसकी सजा के तौर पर उनका तबादला कर दिया गया.

भारत में पिछले साल हुए लोकसभा चुनावों में व्यापक तौर पर फैले भ्रष्टाचार से मुक्ति दिलाने के नारे के साथ केन्द्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार बनी. भारत में श्रम और सेवा से जुड़े कड़े नियमों की वजह से किसी प्रशासनिक अधिकारी को सेवा से निकाला जाना बहुत मुश्किल होता है, जब तक उस पर कोई आपराधिक आरोप सिद्ध ना हो. लेकिन खेमका जैसे अधिकारियों को 22 साल से भी अधिक के कार्यकाल में कभी भी कुछ महीनों से ज्यादा एक जगह पर काम ना करने देना सत्तासीन नेताओं का पुराना पैंतरा रहा है. हरियाणा सरकार तबादले की कोई वजह ना बताते हुए इसे एक "सामान्य प्रशासनिक मामला" बता रही है.

आरआर/एमजे(डीपीए, पीटीआई)