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भ्रूण में एडिटिंग कर जन्मजात बीमारी को रोका

३ अगस्त २०१७

जीन एडिटिंग की मदद से वैज्ञानिकों ने दिल की घातक बीमारी फैलाने वाले जीन को हटाया. वैज्ञानिकों ने भ्रूण में इस जन्मजात बीमारी को छुपाने वाले म्यूटेशन को काट कर बाहर कर दिखाया.

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USA Portland Embryos
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/OHSU

अमेरिका में वैज्ञानिकों की टीम ने इंसानी भ्रूण से उस जीन म्यूटेशन को निकालने में सफलता पायी जो दिल की गंभीर बीमारी के लिए जिम्मेदार था. वैज्ञानिकों ने विवादित जीन एडिटिंग की मदद से बीमारी फैलाने वाले जीन को स्वस्थ जीन से बदल दिया. यह काम भ्रूण में किया गया. CRISPR-Cas9 के नाम से जानी जाने वाली तकनीक की मदद से यह किया गया. CRISPR-Cas9 तकनीक असल में कैंचियों के जोड़े की तरह काम करती है. यह बीमारी के लिए जिम्मेदार जीनोम के खास हिस्से को काट देती है. कटिंग से खाली हुई जगह को नए डीएनए से भर दिया जाता है.

यह प्रोजेक्ट ऑरेगॉन हेल्थ एंड साइंस यूनिवर्सिटी, साल्क इंस्टीट्यूट और कोरियाज इंस्टीट्यूट फॉर बेसिक साइंस का है. शोध के सह लेखक जुआन कार्लोस इजपिसुआ बेलमोंटे ने दावा किया, "हमने इंसानी भ्रूण में म्यूटेशन को ठीक करने की एक सुरक्षित और किफायती संभावना पेश कर दी है."

Symbolbild Stammzellen
ऐसे होती है जीन एडिटिंगतस्वीर: AFP/Getty Images

प्रयोग के तहत वैज्ञानिकों की टीम ने दिल की आनुवांशिक बीमारी हाइपरट्रोफिक कार्डियोमियोपैथी का सफाया किया. जन्म के साथ मिलने वाली इस बीमारी के चलते दिल की मांसपेशी मोटी हो जाती है. इसके कई लक्षण होते हैं. यह बीमारी 500 लोगों में से एक को होती है. समय से इसका पता चलने और सही उपचार मिलने पर सामान्य जिंदगी जी जा सकती है. लेकिन कई मामलों में इस बीमारी के चलते हार्ट फेल होने से लोगों की अचानक मौत हो जाती है. एथलीटों में ऐसा ज्यादा सामने आता है. माता पिता में से किसी एक के जीन में यह दोष हुआ तो बीमारी बच्चे तक पहुंच जाती है.

अमेरिका में वैज्ञानिकों ने एक स्वस्थ महिला के अंडाणु और म्यूटेशन वाले पुरूष का स्पर्म लिया. इन दोनों के मिलन से विकसित हुए भ्रूण में वैज्ञानिकों में म्यूटेशन को खोज निकाला और उसे काटकर बाहर कर दिया. उसकी जगह स्वस्थ डीएनए कड़ी लगायी गयी. लैब में विकसित किये जाने वाले ऐसे भ्रूणों को कुछ दिन बाद खत्म कर दिया जाता है.

जीन एडिटिंग पर काफी विवाद भी होते हैं. गंभीर आनुवांशिक बीमारियां दूर करने में सक्षम समझी जाने वाली इस तकनीक के दुरुपयोग की भी आशंका है. वैज्ञानिकों के एक वर्ग को लगता है कि जीन एडिटिंग की मदद से एक जैसे डिजायनर बच्चे विकसित किये जा सकते हैं. फिलहाल नैतिक बहस के बीच सिर्फ कुछ ही देशों में इस पर परीक्षण चल रहा है.

(आखिर क्यों मर जाता है शरीर, क्या है मृत्यु)

ओएसजे/एके (एएफपी, रॉयटर्स, एपी)