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मंगल अभियान में मुश्किल

११ नवम्बर २०१३

एक हफ्ते पहले शुरू हुए भारत के मंगल अभियान पर मुश्किल की छाया पड़ी है. सोमवार को भारतीय अंतरिक्ष यान की कक्षा बढ़ाने की कोशिश नाकाम रही.

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तस्वीर: Getty Images/Afp/Sajjad Hussain

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो का कहना है कि मंगल यान "सामान्य हालत" में है और मंगलवार को इसकी कक्षा बढ़ाने की फिर कोशिश की जाएगी. चौथी बार की कोशिश में मंगल यान की कक्षा 71,623 किलोमीटर से बढ़ा कर 78,276 किलोमीटर की गई थी. हालांकि पहले योजना इसे 1 लाख किलोमीटर तक बढ़ाने की थी.

कक्षा बढ़ाने की कोशिश के दौरान तरल ईंधन से चलने वाली मोटर 130 मीटर प्रति सेकेंड का वेग नहीं हासिल कर सकी और केवल 35 मीटर प्रति सेकेंड पर ही अटकी रही. इस वजह से इसरो के वैज्ञानिकों की कोशिश नाकाम रही. इसरो के प्रवक्ता डीपी कार्णिक ने कहा है, "कोशिश के दौरान दो कॉइलों में तो ऊर्जा आई लेकिन इंजन के तरल तक प्रोपेलेंट का बहाव रुक गया जिसकी वजह से वेग में कमी आ गई." अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा है कि एक साथ दो कॉइल को चलाना संभव नहीं था इन्हें एक के बाद एक कर ही चलाया जा सका. कक्षा बढ़ाने की कोशिशों के जरिए इसरो ऑटोनॉमी फंक्शन को चालू करने के साथ ही उन्हें परख भी रहा है.

Indien Raumfahrt Mars Orbiter Mission
तस्वीर: Getty Images/Afp/Prakash Singh

मंगल की दिशा में बढ़ने और उसकी कक्षा में प्रवेश के लिए इस फंक्शन का कारगर होना बेहद जरूरी है. इसरो ने बताया कि पिछले हफ्ते कक्षा बढ़ाने की पहली तीन कोशिशों के दौरान सारे फंक्शन बिल्कुल सही ढंग से काम कर रहे थे. ऐसी कुल पांच कोशिशें होनी हैं.

अब यान को पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण तोड़ने लायक वेग हासिल कराने की अगली कोशिश मंगलवार को होगी. मंगलयान को मंगल ग्रह की कक्षा की ओर बढ़ाने के लिए 1 दिसंबर की तारीख तय की गई है.

इसरो ने पीएसएलवी के जरिए 1350 किलोग्राम के मंगलयान को पृथ्वी की कक्षा में पहुंचा दिया है. बीते मंगलवार को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से छोड़े रॉकेट ने रवानगी के 44 मिनट बाद मंगलयान को पृथ्वी की कक्षा में पहुंचा दिया.

यह यान मंगल ग्रह की कक्षा में अभियान शुरू होने के 300 दिन बाद यानी अगले साल 24 सितंबर को पहुंचेगा. भारत ने इस अभियान पर करीब 8 करोड़ डॉलर खर्च किए हैं. अगर मंगलयान तय योजना के मुताबिक अपना मिशन पूरा कर लेता है तो भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी सफल मंगल अभियान करने वाली दुनिया की चौथी अंतरिक्ष एजेंसी होगी. दुनिया में अब तक केवल रूस, अमेरिका और यूरोप ने सफल मंगल अभियान पूरे किए हैं. जबकि मंगल ग्रह के लिए शुरू किए दुनिया के आधे से ज्यादा अभियान नाकाम रहे हैं.

एनआर/एएम (पीटीआई, डीपीए)