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मंगल पर तो जाएंगे, खाएंगे क्या

१४ अगस्त २०१३

मंगल ग्रह पर जाने वाले अंतरिक्ष यात्री क्या खाएंगें, यह पता लगाने के लिए छह रिसर्चर हवाई द्वीप के बंजर लावा मैदान में 8 हजार फीट की ऊंचाई पर पिछले चार महीने से एक दोमंजिले गुंबद में रह रहे हैं.

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तस्वीर: cc by sa NASA/JPL/MSSS & User:DrLee

यह जगह एक माओना लोआ की उत्तरी ढलान पर है जो एक जिंदा ज्वालामुखी है और 1984 में आखिरी बार इससे लावा बाहर निकला था. इन छह रिसर्चरों को हवाई यूनिवर्सिटी और कॉर्नेल यूनिवर्सिटी ने चुना है. इन्हें सूखी, संरक्षित चीजों से ऐसा खाना तैयार करना है जो खराब न हो. इन लोगों ने पहले से इस्तेमाल होती आ रही खाने की चीजों के परीक्षण किया और फिर खुद कुछ व्यंजन तैयार किए जिससे कि कुपोषण और खाने से बोरियत को दूर किया जा सके.

रिसर्चरों की इस टीम में यूएस जियोलॉजिकल सर्वे इन एरिजोना का एक अंतरिक्ष विज्ञानी, सैन फ्रैंसिस्को का विज्ञान व तकनीक पत्रकार, प्यूर्टो रिको में गरीब छात्रों के साथ काम करने वाला पदार्थ विज्ञानी और एक शिक्षक शामिल है. टीम के सदस्यों ने दोमंजिले गुंबद में खुद खाना बनाया. गुंबद में सोने के लिए एक छोटा सा हिस्सा, एक कसरत करने की जगह और जैसा कि जाहिर है एक रसोई घर बना हुआ है. (मंगल पर जीवन नहीं)

टीम के मुखिया एंजेलो वर्मुएलेन ने बताया कि खाने की चीजों के साथ दिक्कत यह है कि वे बहुत ज्यादा प्रोसेस्ड हैं और उनमें फाइबर की कमी है. रिसर्च के लिए दुनिया भर से रेसिपी मंगाई गई थी. हालांकि इसका एक नतीजा यह भी हुआ कि बहुत सारे व्यंजनों की लिस्ट जमा हो गई. हवाई के घरों में डिब्बाबंद मांस बहुत पसंद किया जाता है. लंबे समय तक खराब न होने का गुण रखने के कारण ये बहुत से पकवानों में इस्तेमाल हुआ. रिसर्चरों ने लोगों की भेजी रेसिपी का इस्तेमाल कर कई चीजें बनाई इनमें एक व्यंजन काजुन जमाबालाया भी है जो नूडल जैसा है. इन लोगों ने ऐसे फ्रीज में सुखा कर रखी चीजों और ऐसे मांस का इस्तेमाल किया जो ज्यादा ताजा हों.

हवाई द्वीप का तापमान और माओना लोआ की भौगोलिक स्थिति रिसर्च के लिए एकदम मुफीद है. यह इलाका अलग थलग तो है लेकिन पहुंच में भी है. यहां कोई पौधा या जानवर नजर नहीं आता. बिल्कुल मंगल की तरह दिखता है.

मंगलवार को रिसर्च टीम के सदस्य डोम से बाहर निकल आए. इसके साथ ही उन्हें अंतरिक्ष यात्रा के दौरान पहनी जाने वाली पोशाक से भी छुट्टी मिल गई है. अब यह टीम अगले कई दिन लोगों को इसके बारे में बताने में बिताएगी. हालांकि उन्होंने अपने नियमित काम पर लौटने से पहले समंदर किनारे छुट्टी मनाने की बात कही है. रिसर्च के दौरान इन लोगों के जमा किए आंकड़ों का अध्ययन कर उसे इस्तेमाल लायक बनाने में कई महीने लगेंगे. इसी साल बीजिंग में इंटरनेशनल एस्ट्रॉनॉटिकल कांग्रेस में इसकी रिपोर्ट पेश की जाएगी.

एनआर/ओएसजे (एपी)

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