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मंथन में इस बार

२८ मई २०१५

क्या दो हजार साल पुरानी मूर्ति की हूबहू नकल तैयार की जा सकती है. जर्मनी के वैज्ञानिक इसका जवाब हां में दे रहे हैं. उन्होंने इसके लिए खास तकनीक विकसित की है.

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Grab König Memnon in Luxor Ägypten
तस्वीर: Reuters

कला के बेशकीमती नमूने हों या औजार, म्यूजियम में दिखने वाली ऐसी चीजें भी खतरे से बाहर नहीं हैं. युद्ध, हिंसा या फिर प्राकृतिक आपदाओं में इनके बर्बाद होने का खतरा बना रहता है. लेकिन अब एक नई तकनीक की मदद से ऐसे खजानों को बचाने की कोशिश की जा रही है. जर्मनी के फ्राउनहोफर इंस्टीट्यूट ने 3डी प्रिंटर की मदद से एक खास तकनीक विकसित की है.

मंथन में इस बार बात होगी खदानों के इस्तेमाल की भी. जर्मनी में कई दशकों तक कोयला भारी उद्योगों और ऊर्जा घरों में ईंधन की तरह इस्तेमाल होता रहा. रूअर घाटी का इलाका तो आर्थिक तौर पर कोयले पर ही निर्भर रहा. लेकिन अब दूसरे देशों से कोयला खरीदना ज्यादा सस्ता है, ऐसे में लोकल खदानें बंद हो रही हैं. इसके साथ ही यह सवाल भी खड़ा हो रहा है कि क्या खाली खदानों का क्या किया जाए.

केप नेचर की पुकार

दुनिया के बेहतरीन वाइल्डलाइफ पार्कों की बात हो तो दक्षिण अफ्रीका का भी जिक्र जरूर होता है. हर साल वहां बड़ी संख्या में लोग सफारी के लिए पहुंचते हैं, इस दौरान उन्हें शेर, हाथी, तेंदुए, गैंडों और चितकबरे घोड़े समेत सैकड़ों वन्य जीव दिखते हैं. लेकिन शहरों के विस्तार से जानवरों के प्राकृतिक बसेरे उजड़ रहे हैं. ऐसे में निजी और सरकारी तंत्र को साथ लाने की कोशिश की जा रही है.

काम अपनी शर्त पर

जर्मनी में आईटी सेक्टर का विकास हो रहा है. 90 हजार से भी ज्यादा कंपनियां डिजिटल सोल्यूशन से जुड़ी हुई हैं. लेकिन जितना काम है, उतने काम करने वाले नहीं. इसलिए इन दिनों कंपनियां कर्मचारियों की सहूलियत के अनुसार खुद को ढाल रही हैं. कर्मचारी कब और कितना काम करेंगे, यह वे खुद ही निर्धारित कर रहे हैं.

कपड़े और किताबें तो लंबे समय से ऑनलाइन बिक रही हैं पर अब राशन भी ऑनलाइन ऑर्डर किया जा सकता है. पति पत्नी दोनों के कामकाजी होने के कारण राशन खरीदना कुछ लोगों के लिए वक्त की बर्बादी जैसा है. जर्मनी में घर के सामान को इंटरनेट पर ऑर्डर करने का यह चलन दिन पर दिन बढ़ रहा है.

ओएसजे/आईबी