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मंथन में खूनी नदी के राज

१ मार्च २०१३

मंथन में इस बार बात हो रही है स्पेन की एक खूनी नदी की. साथ ही मशीनों की दुनिया में क्रांति लाने वाली एक ऐसी तकनीक पर रोशनी डाली जाएगी जिससे मशीनें अपने आप ही सब काम कर लेंगी.

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तस्वीर: DW

स्पेन में एक छोटी सी नदी है, जिसमें लाल रंग का पानी बहता है. दूर से देखने पर तो ऐसा प्रतीत होता है मानो खून की नदी बह रही हो. दरअसल इस पानी में बहुत ज्यादा लोहा और गंधक है. इसीलिए यह इंसानों के लिए खतरनाक भी है. अरसे तक लोग ऐसा मानते रहे कि नदी खनन की वजह से दूषित हुई है, लेकिन अब पता चला है कि एक खास प्रकार के सूक्ष्म जीव वहां चट्टानों को खा रहे है. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा और स्पेन के वैज्ञानिक मानते हैं कि चट्टान खाने वाला यह जीव मंगल या दूसरे ग्रहों पर भी जीवन का अंकुर फोड़ सकता है.

स्पेन की इस नदी के साथ साथ इस बार आप मंथन में देखेंगे इक्वाडोर के घने जंगलों को. इक्वाडोर लातिन अमेरिका का दूसरा सबसे गरीब देश है. इस देश में तेल के बड़े भंडार हैं. इक्वाडोर चाहे तो अरब देशों की तरह तेल बेच कर खूब पैसा कमा सकता है. लेकिन ऐसा करने पर इसकी कीमत पर्यावरण को चुकानी पड़ेगी. देश तेल का लालच छोड़ प्रकृति को बचाने में लगा है. इक्वाडोर के हरे भरे जंगलों के नीचे करीब पचासी करोड़ बैरल तेल छिपा है लेकिन उस तेल की कमाई की जगह चिड़ियों की चहचहाहट बनाए रखने का फैसला किया गया है.

Tattoo Convention Hamburg
तस्वीर: picture-alliance/dpa

टैटू से नुकसान

जीवनशैली में इस बार बात हो रही है टैटू के चलन की. टैटू बनवाना जितना भी दर्दनाक हो, लेकिन इनकी दीवानगी ऐसी है कि जर्मनी में हर 10वें इंसान के शरीर पर टैटू है. टैटू से त्वचा को कई तरह के नुकसान भी पहुंचते हैं. टैटू करवाने से पहले किन तरह की बातों पर ध्यान देना चाहिए यह समझा रहे हैं महेश झा. इंफेक्शन हो जाने से हिपेटाइटिस, हर्पीज, टेटनस या एचआईवी तक का खतरा रहता है. इसके अलावा इन्हें हटवाने की लेजर तकनीक पर भी चर्चा की गयी है. साथ ही यह भी समझाया गया है कि इनकी शुरुआत किस तरह से हजारों साल पहले अलग अलग देशों में आदिवासियों के बीच हुई. अब आज के जमाने में टैटू बनाने के लिए आधुनिक तरीकों का इस्तेमाल हो रहा है. बर्लिन के एक टैटू आर्टिस्ट की मदद से बताया गया है कि आज कल यहां किस तरह के टैटू का चलन है. ये टैटू रंग बिरंगे हैं और इन्हें बनाने में घंटों का समय और हजारों रुपये खर्च हो जाते हैं.

Mobile World Congress in Barcelona Nokia Stephen Elop
तस्वीर: Lluis Gene/AFP/Getty Images

इंडस्ट्री 4.0 का कमाल

तकनीक में हो रहे नए बदलाव मंथन का अहम हिस्सा बनते हैं. इस बार बात हो रही है इंडस्ट्री 4.0 की. बिस्किट का पैकेट हो या दूध की थैली, आज कल हर सामान की पैकेजिंग मशीनें ही करती हैं. जर्मनी इस मशीनीकरण की अगली सीढ़ी चढ़ने की तैयारी कर रहा है. मशीनें खुद मशीनों से बात कर लेंगी, अपना काम समझ लेंगी और अपने आप ही उसे निपटा भी देंगी. मशीनों की इस क्रांति को इंडस्ट्री 4.0 कहा जा रहा है. भविष्य के प्रोडक्शन में चिप की मदद से बोतल खुद ही तय कर लेती है कि उसमें कौन सा तरल साबुन आएगा, कौन सा ढक्कन लगेगा. नए सॉफ्टवेयर की मदद से मशीनों के बीच बात हो जाती है. सॉफ्टवेयर ही बताता है कि क्या काम होना है.

Zahnbürste und Zahnpasta
तस्वीर: Fotolia/dkimages

कैसे बनता है टूथपेस्ट

डॉक्टर सलाह देते हैं कि दिन में दो बार ब्रश जरूर करें. बाजार में इतने तरह के टूथपेस्ट हैं कि समझ ही नहीं आता कि इनमें फर्क क्या है. किसी में नमक है तो किसी का स्वाद मीठा है, किसी में सिर्फ सफेद पेस्ट है तो किसी में हरे या नीली रंग का जेल, तो कुछ में ये सब कुछ मिला हुआ है. पर आखिर ये रंग बिरंगे टूथपेस्ट बनते कैसे हैं? मंथन में इस बार आप इस पर जानकारी हासिल कर सकेंगे, टूथपेस्ट बनाने की प्रक्रिया के अलग अलग चरणों को समझ सकेंगे. अलग अलग तरह के पाउडर के मिश्रण से ले कर अंत में लैब में इस बात का सुनिश्चित किया जाना कि क्या टूथपेस्ट सही ढंग से ट्यूब से निकल रहा है, यह सब इस प्रक्रिया का हिस्सा होता है. ऐसी ढेर सारी रोमांचक जानकारियों के लिए देखना ना भूलें मंथन डीडी 1 पर शनिवार सुबह 10.30 बजे और कार्यक्रम से जुडी अपनी प्रतिक्रियाएं भी हम तक जरूर पहुंचाएं.

रिपोर्ट: ईशा भाटिया

संपादन: आभा मोंढे

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