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मंथन में ऑफलाइन वेकेशन

५ जुलाई २०१३

मंथन के ताजा अंक में बात होगी आपकी सेहत की. ले चलेंगे आपको एक ऑफलाइन वेकेशन पर और जानेंगे कि फोन और इंटरनेट से दूर रह कर आपको किस तरह से फायदा मिल सकता है. साथ ही जानेंगे क्या हैं डॉल्फिन की दिक्कतें.

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तस्वीर: DW

हम में से अधिकतर लोगों ने सफेद और काली चमड़ी वाली खूबसूरत डॉल्फिन को टीवी विज्ञापनों या फिल्मों में ही देखा है. भारत से लोग खास तौर से थाईलैंड और सिंगापुर में डॉल्फिन पार्क देखने जाते हैं. हाल ही में दिल्ली, मुंबई और कोच्चि में डॉल्फिन पार्क की योजना बनी. लेकिन भारत सरकार का मानना है कि डॉल्फिन मनोरंजन का जरिया नहीं है, बल्कि यह ऐसा जीव है जिसकी समझबूझ इंसानों जैसी ही है. इसीलिए इन्हें नॉन ह्यूमन पर्सन का दर्जा मिला है. मंथन में जानिए कि क्रोएशिया में किस तरह से इन्हें बचाने की मुहिम कैसे चल रही है.

सूनामी की चेतावनी

इंडोनेशिया में जावा के तटीय इलाके सैलानियों में बहुत लोकप्रिय हैं. 2006 में आई सूनामी से इन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ा. वक्त रहते अगर सूनामी की चेतावनी मिल जाए, तो इतना नुकसान होने से रोका जा सकता है. यूरोप में अब ऐसे चेतावनी सिस्टम बन रहे हैं जो ऐसा करने में सक्षम हैं. रिपोर्ट में बताया जा रहा है कि जर्मनी के बंदरगाह शहर हैम्बर्ग में पानी पर तैरने वाले हाइटेक बूई कैसे बनाए जा रहे हैं और ये काम कैसे करते हैं. ये ऐसे हाई टेक सूचना केंद्र हैं जो समंदर के बीचोंबीच जानकारी इकट्ठा करते हैं और भेजते हैं. बूई सोलर सेल्स से चलते हैं और हवा में नमी, दबाव और तापमान नापते हैं. इस कारण सूनामी की लहरें काफी पहले पकड़ में आ जाती हैं.

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यूरोप में ऐसे चेतावनी सिस्टम बन रहे हैं जो वक्त रहते सूनामी की चेतावनी दे सकेंगे.तस्वीर: DW

इस बीच यहां होटल और रेसॉर्ट तो दोबारा तैयार हो गए हैं, लेकिन बर्बाद हुए पेड़ों का क्या? अब यहां मैंग्रोव और मूंगों को फिर से लगाया जा रहा है. इंडोनेशियाई गैरसरकारी संगठन इंडेकॉन ने संयुक्त राष्ट्र की पर्यटन संस्था की देखरेख में एक कार्यक्रम तैयार किया है. इसके लिए पैसा पर्यावरण से जुड़ी एक जर्मन संस्था दे रही है. आस पास के गांववाले पौधों की नर्सरी तैयार कर रहे हैं. सुनामी के कारण खाली हो चुकी करीब 17 एकड़ की जमीन पर पहले ही 35,000 से ज्यादा मैंग्रोव पेड़ लगाए जा चुके हैं. रिपोर्ट में यह भी दिखाया जा रहा है कि किस तरह से समुद्र तल के नीचे कंक्रीट के खंभे तैयार कर नए मूंगे लगाए जा रहे हैं.

डिजिटल दुनिया और आप

मंथन में हम आपको बता रहे हैं कि दिमाग को शांत करने वाली ऑफलाइन वेकेशन क्या होती है. यहां ना तो फोन हैं, ना टीवी और ना ही इंटरनेट, अगर कुछ है तो बस कुदरत और मन की शांति. ऑस्ट्रिया में लोगों के लिए खास इस तरह के टूरिस्ट पैकेज बनाए जा रहे हैं जहां लोग डिजिटल दुनिया से दूर रह सकें. डिजिटल दुनिया का आप पर किस तरह बुरा असर होता है, जानेंगे मंथन के इस अंक में अवध कुमार से, जो कोलोन यूनिवर्सिटी में न्यूरोसाइंस के क्षेत्र में रिसर्च कर रहे हैं. अवध बताएंगे कि किस तरह तनाव लेने से शरीर की कोशिकाएं मर जाती हैं, दिमाग पर बुरा असर पड़ता है और इंसान बीमार होने लगता है. साथ ही वह ऐसे ऐप के बारे में भी जानकारी दे रहे हैं जो छोटे बच्चों पर केंद्रित होते हैं.

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डिजिटल दुनिया का आपकी सेहत पर बुरा असर पड़ता है.तस्वीर: Fotolia/Peter Atkins

पर्यावरण और स्वास्थ्य की इन रिपोर्टों के अलावा मंथन में अनोखी साइकिलें भी देखने को मिलेंगे. बर्लिन में साइकिल सिर्फ साइकिल ही नहीं है, बल्कि कला का जरिया भी है. हम आपको ले चलेंगे बर्लिन की अर्बन गैलरी श्प्री में जहां युवा कलाकार, ग्राफिक डिजाइनर और साइकिल प्रेमी साइकिल को एक नई पहचान दे रहे हैं. साइकिल को इस्तेमाल कला के लिए कैसे होता है, इसका जवाब मिलेगा आपको मंथन में शनिवार सुबह 10.30 बजे डीडी-1 पर.

रिपोर्ट: ईशा भाटिया

संपादन: आभा मोंढे

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