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"मंथन से हिन्दी सीखने लगी हूं"

७ मार्च २०१४

मंथन के बारे में क्या कहते हैं हमारे पाठक जानिए फीडबैक में

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Wachsende Gefahr von Hacker-Angriffen
तस्वीर: picture-alliance/dpa

हर कार्यक्रम में कुछ नया देखने को मिलता है जिससे जिज्ञासा बढती है कि आने वाले कार्यक्रम में क्या है. भारत के बाहर किन किन विषयों पर खोज व कार्य चल रहे हैं व उनके क्या परिणाम हैं जिनकी आपसे बिल्कुल सटीक जानकारी मिलती है. आज के कार्यक्रम में इंटरनेट पर जासूसी की बात बहुत रोचक लगी कि हर चीज की जानकारी तो उपलबध है जिससे सुविधा तो बढेगी परंतु उसका दरुपयोग भी होगा. दूर दूर तक सफेद बर्फ की चादर में सर्द हवाओ में भ्रमण करना भी अच्छा लगा. - सौरभ लोधी

मुझे आपका भेजा (प्रश्नोलॉजी में जीता) पुरस्कार मिल गया है. मैं बहुत ही खुश हूं. डीडब्ल्यू हिन्दी मुझे हिन्दी सीखने में बड़ी मदद करता है और साथ ही जर्मनी के बारे में बहुत कुछ जानने को भी मिलता है. मैं भौतिकी की छात्रा हूं. मैंने 2010 से डीडब्ल्यू इंगलिश देखना शूरू किया है. मुझे विज्ञान और जर्मनी में प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नई नई तकनीकों के बारे में जानने में मदद मिलती है. जब से मुझे फेसबुक के जरिए दूरदर्शन पर आपके मंथन कार्यक्रम के बारे में पता चला, मैं इसका कोई भी एपिसोड देखना मिस नही करती. हर शनिवार को बहुत ही मजा आता है. प्रार्थना करती हूं कि शनिवार को कभी भी मेरी क्लास नहीं हो, और जब कभी होती भी है तो मैं बंक कर जाती हूं. मुझे मंथन और टुमॉरो टुडे से बहुत प्यार है. मंथन से तो मैं हिन्दी भी सीखने लगी हूं. - आदिता प्रीथिका, जिला तिरूपुर, तमिलनाडु

मंथन बहुत ही कमाल का प्रोग्राम है. मैंने इसे पहली बार देखा है और मुझे बहुत ज्ञानवर्धक लगा. सबसे अच्छा तो आपका पृष्ठभूमि का विशेष उल्लेख करते हुए प्रस्तुत करने का तरीका लगा. लेकिन कुछ जगहों पर मुझे डबिंग (पुरुष) की सही नही लगी. - अरविंद सहाय

Ritika Rai, Manthan 77
तस्वीर: DW

"कहते हैं दुश्मन वही जो सामने से वार करे, दोस्त वही जो पीठ पीछे स्तुतिवाद करे". मंथन ज्ञान के रस से भरी सुराही की भांति है जिसका रस हर कोई बड़े चाव से पीना चाहता है. नित नई खोज और अद्धभुत कारनामों की ऐसी प्रस्तुति कि चाहे बच्चा हो या बूढ़ा, हर कोई समय निकाल कर हर शनिवार डीडी1 के सामने बैठ ही जाता है और हर बार कुछ नया पाकर मंत्रमुगध हो जाता है. मैं भी उनमें एक हूं और यह बात मैं गर्व से कहता हूं. कारण स्पष्ट है आधे घंटे में जो ज्ञान प्राप्त होता है शायद उसकी तलाश कई दिनों के कठिन परिश्रम के बाद पूरी हो. - मुहम्मद सादिक आजमी, ग्राम लोहिया,पोस्ट अमिलो, जिला आजमगढ़, उत्तर प्रदेश

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तस्वीर: Petra Aschoff

इस बात में कोई शक नहीं कि साफ और पीने के लायक पानी दुनिया के लोगों के लिए एक बहुत बड़ा और अहम मसला है. बात सिर्फ अफ्रीका की ही नहीं बल्कि हमारे जैसे देशों के बहुत से इलाकों में साफ पानी आज के दौर में भी एक गंभीर समस्या बना हुआ है. आज भी साफ पानी न मिलने और संक्रमित पानी के इस्तेमाल से दुनिया भर में हर साल 34 लाख लोगों की मौत हो जाती है, खास कर अफ्रीका महाद्रीप में सूरतेहाल बहुत खराब हैं. ऐसे में एक प्लंबर द्वारा जोंपी बायलर का यह तरीका बिला शुबा उपयोगी और प्रभावी साबित होगा. पानी को साफ करने का ये तरीका बहुत आसान भी है, तो सस्ता भी. 20 डॉलर से भी कुछ कम कीमत पर मिलने वाला यह जोंपी बायलर अपनी अहमियत और उपयोगिता के मद्देनजर बहुत से लोगों के लिए खरीदना कुछ अधिक मुश्किल भी नहीं होगा. आखिर यह स्वास्थ्य और जीवन का मामला है. वैसे इस रिपोर्ट में ये नहीं बताया गया कि एक बार खरीदा गया जोंपी बायलर कितने साल तक सही और प्रभावी तौर पर काम कर सकता है. रिपोर्ट और जानकारी बहुत पसंद आई और इसके लिए मंथन और डीडब्ल्यू का बहुत शुक्रिया. - आजम अली सूमरो, ईगल इंटरनेशनल रेडियो लिस्नर्स कलब, खैरपुर मीरस सिंध, पाकिस्तान

संकलनः विनोद चड्ढा

संपादनः आभा मोंढे

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