मंदिर में सरकटा धड़, मानव बलि का संदेह
१६ अप्रैल २०१०बीरभूम ज़िले के दोनाईपुर गांव में काली मंदिर में मिली लाश की अब तक शिनाख्त नहीं हुई है, लेकिन कटे हुए सर और धड़ के मिलने के बाद पुलिस का कहना है कि यह मानव बलि का मामला हो सकता है. पुलिस का कहना है कि पास के एक शहर से आए एक दल ने शुक्रवार को दो बकरों को बलि दी थी.
एक स्थानीय पुलिस अधिकारी ने कहा है, "हम इस बात की जांच कर रहे हैं कि लकड़ी की बेदी के पास मिला खून और मंदिर में मिला खून मानव रक्त है या बलि किए गए बकरों का है." ज़िला पुलिस अधीक्षक रबींद्रनाथ मुखर्जी का कहना है कि मामला हत्या का हो सकता है जिसे पुलिस को भरमाने के लिए मानव बलि का रूप दे दिया गया है. सर को तीखे हथियारों से बिगाड़ दिया गया है और शरीर पर भी ज़ख्मों के निशान हैं.
काली मंदिर के पुजारी को शव मिला जिसने पुलिस को इत्तिला दी. पुलिस द्वारा लाए गए स्नाइफ़र कुत्तों के इशारे पर एक आदिवासी युवा और उसकी पत्नी को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है.
भारत में मानव बलि काफ़ी समय से प्रतिबंधित है लेकिन देश के पिछड़े क्षेत्रों से कभी कभार इस तरह की रिपोर्टें आती रहती हैं जहां अभी भी जादू टोने में विश्वास किया जाता है. देवी देवताओं को खुश करने के लिए बलि दी जाती है. बकरे की बलि काली की पूजा का सामान्य हिस्सा है लेकिन कुछ मंदिरों में अब बलि नहीं दी जाती.
रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा
संपादन: राम यादव