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जर्मनी की यूक्रेन कूटनीति

६ सितम्बर २०१४

जर्मनी अभी भी मानता है कि कूटनीति ही यूक्रेन संकट को हल करने का इकलौता तरीका है. हालांकि यह दलील बहुत उम्मीद से भरी नहीं है.

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Merkel - von der Leyen - Steinmeier
तस्वीर: Reuters

इन दिनों जर्मन सरकार बहुत ही शर्तों वाले वाक्यों का सहारा लेती है, खासकर यूक्रेन संकट के मुद्दे पर. सरकार के प्रवक्ता श्टेफाइन जाइबर्ट ने कहा, "अगर दोनों राष्ट्रपति, पुतिन और पोरोशेंको संघर्ष विराम के लिए रास्ता खोलने वाले किसी समझौते पर पहुंच जाते हैं तो सरकार उसका स्वागत करेगी ही." बुधवार खबरें थी कि यूक्रेन और रूस किसी समझौते पर पहुंच गए हैं लेकिन तुरंत ही मॉस्को ने इसका खंडन कर दिया.

उसी दिन मॉस्को ने शांति के लिए यूक्रेन के सामने सात बिंदुओं वाली योजना रखी. जर्मनी की रक्षा मंत्री उर्सुला फॉन डेय लायेन की प्रतिक्रिया बहुत ही संभली हुई थी. उन्होंने कहा, "उम्मीद है कि सात प्वाइंट उम्मीद का संकेत हैं. लेकिन पिछले दिनों हमने हमेशा देखा है कि पुतिन कुछ बोलते हैं और करते उसका एकदम उल्टा हैं."

D-Day Feier 06.06.2014 Ouistreham Merkel Putin
तस्वीर: Reuters

खास नीति

जर्मन सरकार यूक्रेन संकट के शुरू होने के समय से ही रूस के बारे में कोई रुख तय नहीं कर पाई. नेता बिना थके यही कहते आ रहे हैं कि कूटनीति ही इस मुद्दे को हल कर सकती है. विदेश मंत्री फ्रांक वाल्टर श्टाइनमायर ने कई बार बातचीत की कोशिश की, लेकिन हालात बिगड़ने के कारण ये आगे नहीं बढ़ा. लेकिन समाजवादी लोकतांत्रिक पार्टी बार बार कहती है कि संकट अभी भी हल किया जा सकता है.

हालांकि कई नेताओं का साफ मानना है कि सिर्फ समझने से और अच्छे इरादे होने से कोई रास्ता नहीं निकलेगा. शुरू से अब तक सिर्फ वामपंथी पार्टी ऐसी है जिसने रूस केंद्रित नीति की बात की है. उन्होंने ही ईयू के प्रतिबंध हटाने की भी मांग की जबकि दूसरी पार्टियां और दूसरे ईयू के सदस्य रूस पर और प्रतिबंध लगाने के बारे में विचार कर रहे हैं.

वैसे तो नाटो बैठक के दौरान जर्मनी नाटो की अधिकतर नीतियों के समर्थन में है. जर्मनी की चांसलर अंगेला मैर्केल ने कहा है कि भले ही रूस ने 1997 के नाटो रशिया पैक्ट का उल्लंघन किया हो लेकिन नाटो अभी भी उसे मानता है. इस संधि के मुताबिक नाटो की सेना बड़ी संख्या में पूर्वी यूरोप में तैनात नहीं हो सकती. जर्मनी की रक्षा मंत्री उर्सुला फॉन डेय लायेन ने कहा, "जो हमने पिछले 25-30 साल में बनाया है उसे हम ध्वस्त नहीं कर सकते. राष्ट्रपति पुतिन के बाद भी एक समय होगा."

रिपोर्टः माथियास बोएलिंगर/एएम

संपादनः ओंकार सिंह जनौटी