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मनमोहन कैबिनेट में बदलाव की अटकलें

१८ जनवरी २०११

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात की है. इस मुलाकात के बाद कैबिनेट में बदलाव की उम्मीदें तेज हो गई है. इस हफ्ते प्रधानमंत्री कैबिनेट में बदलाव कर सकते हैं. नए चेहरो को मिल सकता है मौका.

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चुनौतियों से जूझती सरकारतस्वीर: UNI

सोनिया प्रधानमंत्री सिंह से मिलने उनके निवास स्थान पहुंची. कांग्रेस अध्यक्ष के साथ उनके राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल भी मौजूद थे. सोमवार को प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल से मुलाकात की. इसे सामान्य मुलाकात बताया गया लेकिन ऐसी खबरें है कि यूपीए सरकार कैबिनेट में बदलाव करने जा रही है.

सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री कैबिनेट में नए चेहरों को मौका देना चाह रहे हैं. सीपी जोशी और विलासराव देशमुख के पर कतरे जा सकते हैं. जोशी से ग्रामीण विकास मंत्रालय और देशमुख से भारी उद्योग मंत्रालय वापस लिया जा सकता है. कांग्रेस चाहती है कि ये दोनों नेता पार्टी की सेवा करें.

वहीं दूसरी ओर शरद पवार और कपिल सिब्बल जैसे नेताओं के पास एक से ज्यादा मंत्रालय हैं. आलोचनाओं में घिरे पवार कृषि के साथ साथ उपभोक्ता और खाद्य मामलों का मंत्रालय देख रहे हैं. वहीं सिब्बल भी विज्ञान, मानव संसाधन विकास और दूरसंचार तीन मंत्रालयों के पद संभाले हुए हैं.

इनके अलावा कुछ पद रिक्त भी पड़े हैं. शशि थरूर विदेश राज्यमंत्री पद से रुखसत हो चुके हैं. पृथ्वीराज चव्हाण महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बन गए हैं. ए राजा 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले की भेंट चढ़ गए हैं. इनके इस्तीफों से कई मंत्रालयों के पद खाली हुए हैं. राजा की पार्टी डीएमके कैबिनेट मंत्रालय अपने पास ही रखना चाहती है. पूर्व सड़क और परिवहन मंत्री टीआर बालू का नाम मंत्री पद के लिए आगे आ रहा है.

अंदाजा लगाया जा रहा है कि सिब्बल से विज्ञान और तकनीक मंत्रालय लिया जा सकता है. सिब्बल सुधारों का हवाला देते हुए मानव संसाधन विकास मंत्रालय भी अपने पास रखना चाहते हैं. वहीं एनसीपी के नेता और आईसीसी के अध्यक्ष शरद पवार उपभोक्ता और खाद्य मामलों के मंत्रालय को छोड़ सकते हैं. तृणमूल कांग्रेस के किसी नेता को भी कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिल सकता है.

प्रधानमंत्री और सोनिया गांधी पिछले हफ्ते भी दो बार मिल चुके हैं. माना जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेताओं के बीच मंत्रालयों के बंटवारे को लेकर रणनीति बनाई जा रही है. 2009 में दूसरी बार सत्ता में आई यूपीए सरकार इस वक्त बड़ी मुश्किलों में है. आए दिन सामने आ रहे घोटालों से पार्टी और मनमोहन सिंह की छवि धूमिल होती जा रही है.

रिपोर्ट: पीटीआई/ओ सिंह

संपादन: एन रंजन

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