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मनमोहन सिंह ने कहा, अर्थव्यवस्था की हालत अच्छी नहीं

३० जनवरी २०१७

मोदी सरकार का आर्थिक सर्वेक्षण 2017 पेश किए जाने से पहले कांग्रेस ने देश की आर्थिक स्थिति पर अपनी रिपोर्ट जारी की. इसमें अर्थव्यवस्था की हालत को खराब बताया गया है और रोजगार और पूंजी निवेश घटने का दावा किया गया है.

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Indiens Premierminister Manmohan Singh
तस्वीर: Raveendran/AFP/Getty Images

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पूर्व वित्त मंत्री पी चिंदबरम ने कांग्रेस के मुख्यालय में ‘द रियल स्टेट ऑफ इकोनॉमी 2017- ए कम्प्रेहेंसिव मिड टर्म इकोनॉमिक एनालिसिस ऑफ द मोदी गवर्नमेंट' पेश करते हुए कहा कि नोटबंदी के बाद अर्थव्यवस्था की वास्तविक हालत बहुत बुरी हैं और कई संकेतक दशकों बाद सबसे खराब प्रदर्शन कर रहे हैं. दोनों नेताओं ने नरेंद्र मोदी सरकार पर कड़ा हमला बोलते हुए कहा कि देश की अर्थव्यवस्था की हालत अच्छी नहीं है और इस संबंध में तत्काल कदम उठाने की जरुरत है. इस रिपोर्ट को कांग्रेस के राज्यसभा सांसद राजीव गौड़ा ने तैयार किया है.

मनमोहन सिंह ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था लगातार मंदी की ओर बढ रही है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने अर्थव्यवस्था की विकास दर का अनुमान 7.9 प्रतिशत जताया है. इसके साथ ही अन्य अंतरराष्ट्रीय साख निर्धारण संस्था ने भी भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर को नकारात्मक बताया है. उन्होंने कहा कि इस समय यह सोचने की जरूरत है कि अर्थव्यवस्था किस दिशा में जा रही है और इसे विकास के पथ पर लाने के लिए क्या क्या कदम उठाए जाने चाहिए. उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था को विकास के रास्ते पर लाने के लिए तत्काल कदम उठाए जाने की जरूरत है.

पूर्व प्रधानमंत्री ने शराब कारोबारी विजय माल्या को मदद पहुंचाने के भारतीय जनता पार्टी के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उन्होंने कोई भी काम कानून के दायरे से बाहर जाकर नहीं किया है. उन्होंने कहा कि सभी प्रधानमंत्रियों और वित्त मंत्रियों के साथ उद्योगों के प्रमुखों के प्रतिनिधि मिलते हैं और अपने प्रस्ताव सौंपते हैं लेकिन इन सब प्रस्तावों को एक उपयुक्त समिति द्वारा ही पारित किया जाता है. उनका कहना था कि प्रधानमंत्री के रूप में उन्हें भी इस तरह के प्रस्ताव मिलते रहे हैं लेकिन उन्होंने किसी भी प्रस्ताव पर कानून के दायरे से बाहर जाकर कार्यवाही नहीं की है.

बीजेपी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा था कि विजय माल्या का मामला ऋण देकर जनता के पैसों की लूट का एक अद्भुत उदाहरण है. एक साधारण आदमी को बहुत मामूली राशि का ऋण भी कागजात पूरे करने पर ही मिलता है लेकिन माल्या को बिना कागज पूरे किये और तमाम कमियों के बावजूद करीब 9000 करोड़ रुपये का ऋण दे दिया गया. पात्रा ने कहा, "माल्या के मामले में जो हाथ डोर को पर्दे के पीछे से खींच रहे थे, वे हाथ सामने आ गये हैं. ये हाथ लूट और भ्रष्टाचार के काम को छिपाने एवं मदद देने में लगे थे.” उन्होंने आरोप लगया कि ये हाथ पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के हैं.

एमजे/एके (यूनीवार्ता)