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मच्छर और मलेरिया की आपसी जंग

१२ जून २०१४

वैज्ञानिकों ने मलेरिया के खिलाफ जंग में उतारने के लिए अपने नए हथियार का एलान कर दिया है. जीवविज्ञानियों ने मलेरिया फैलाने वाले मच्छर में ही कुछ ऐसे बदलाव किए हैं कि बीमारी को फैलने से रोका जा सके.

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तस्वीर: Fotolia/Kletr

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हर साल दुनिया भर में मलेरिया से छह लाख से भी ज्यादा लोगों की जान चली जाती है. शोधकर्ताओं ने मलेरिया फैलाने वाले मच्छर पर जेनेटिक इंजीनियरिंग की तकनीक का इस्तेमाल कर उनकी आनुवंशिक संरचना को इस तरह बदल दिया है कि वे ज्यादातर नर मच्छरों को ही जन्म दें. मादाओं की कमी होते होते आगे चलकर एक स्थिति ऐसी आती है कि उनकी पूरी की पूरी आबादी ही मिट जाए.

नेचर कम्यूनिकेशंस नाम के जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट में वैज्ञानिकों ने बताया है कि इस तरह मच्छरों में लिंग का चुनाव करने की तकनीक से मच्छरों की एक ऐसी पीढ़ी तैयार होती है जिसमें 95 फीसदी मच्छर नर होते हैं. आम तौर पर सामान्य आबादी में अगर प्राकृतिक चुनाव हो तो नर और मादा जनसंख्या की संभावना 50 फीसदी यानि आधी आधी होती है. इस तरह कृत्रिम तरीके से तैयार हुई मच्छरों की पूरी पीढ़ी में इतनी कम मादाओं के होने के कारण पूरी की पूरी आबादी लुप्त होने की तरफ बढ़ चलती है और इससे इंसानों में मलेरिया फैलने का खतरा कम हो जाता है. मादा मच्छर ही इंसान का खून चूसते समय मलेरिया के परजीवी को इंसानों में छोड़ती जाती है.

इस शोध का नेतृत्व करने वाली इंपीरियल कॉलेज लंदन में प्रोफेसर आंद्रिया क्रिसैंटी बताती हैं, "मलेरिया हमें कमजोर बना रहा है और अक्सर जानलेवा भी साबित होता है. हमें इससे निपटने के नए नए तरीके ढूंढने की सख्त जरूरत है." क्रिसैंटी आगे कहती हैं, "पहली बार ऐसा कुछ हुआ है कि हम लैब में मादा संतानों के जन्म को रोक पाए हैं और इस तरह हमें इस बीमारी को मिटाने का नया तरीका मिला है."

मलेरिया के कीटाणु को फैलाने वाले सबसे खतरनाक एनोफिलीज मच्छर पर असर करने वाले ऐसे किसी तरीके को ढूंढने के लिए पिछले छह सालों से काम चल रहा है. इसमें वैज्ञानिक नर मच्छर के जीन में एक खास एन्जाइम डीएनए के टुकड़े को इन्जेक्ट करते हैं. इससे वयस्क होने पर जब मच्छर प्रजनन की प्रक्रिया में जुड़ता है तब उसके वीर्य में मादा संतान के जन्म के लिए जरूरी एक्स क्रोमोजोम नहीं होते. नतीजा यह होता है कि नई पीढ़ी में ज्यादातर नर ही होते हैं. ऐसा पीढ़ी दर पीढ़ी होता रहता है कि जीएम नर मच्छर अगली पीढ़ी में भी जीएम नर ही पैदा करते हैं.

क्रिसैंटी के सहयोगी रॉबर्टो गालिजी कहते हैं, "रिसर्च की अभी सिर्फ शुरुआत है लेकिन मुझे बहुत उम्मीद है कि इस नए तरीके से मलेरिया को हर जगह से मिटाने का एक सस्ता और असरदार तरीका मिलेगा." कुछ पर्यावरणविद इस तरीके का विरोध कर रहे हैं. उनका तर्क है कि इस तरह के कृत्रिम तरीकों से प्रकृति में जैव विविधता का संतुलन बिगड़ेगा. उन्हें डर है कि अगर किसी जगह मच्छर की किसी एक प्रजाति को मिटा दिया जाता है तो उनकी जगह आस पास से आई हुई कोई दूसरी, पहले से भी खतरनाक प्रजाति ले सकती है.

आरआर/एजेए (एएफपी)