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महाराष्ट्र सरकार के मदरसा फैसले का विरोध

३ जुलाई २०१५

महाराष्ट्र में विपक्षी दल और मुस्लिम संगठन बीजेपी सरकार के मदरसों पर लिए गए फैसले के विरोध में उतर आए हैं, जिसमें ऐसे मदरसों की मान्यता खत्म करने का फैसला किया गया है जहां बेसिक विषयों की शिक्षा नहीं दी जाती.

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Indien Madrasa in der Stadt Azamgarh
तस्वीर: Murali Krishnan

बीजेपी सरकार के कदम को असंवैधानिक करार देते हुए कांग्रेस प्रवक्ता संजय निरूपम ने कहा कि धर्म के आधार पर किसी छात्र से भेदभाव नहीं होना चाहिए, हम इस मुद्दे को विधानसभा में उठाएंगे. जमीयत उलेमा ए हिंद के महासचिव मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता. एमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने सवाल किया है कि क्या वैदिक शिक्षा पाने वाले छात्रों को भी स्कूली शिक्षा के दायरे से बाहर माना जाएगा.

महाराष्ट्र के शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े ने गुरुवार को कहा कि महाराष्ट्र सरकार उन्हीं मदरसों को सरकारी अनुदान देगी जहां धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ चार बेसिक विषयों को पढ़ाया जाएगा. उन्होंने कहा कि शिक्षा के अधिकार के नियम के तहत जिन मदरसों में औपचारिक विषयों की शिक्षा नहीं दी जाती उन्हें स्कूली शिक्षा के तौर पर मान्य नहीं किया जा सकता. शिक्षा मंत्री ने कहा, "इसलिए हमने सभी मदरसों से आग्रह किया था कि धार्मिक शिक्षा के साथ ही अन्य चार विषय अंग्रेजी, गणित, विज्ञान और समाज विज्ञान की भी शिक्षा दें ताकि मदरसों में शिक्षा लेने वाले विद्यार्थी भी शिक्षा की मुख्य धारा से जुड़ सकें."

हाल ही में महाराष्ट्र सरकार ने सूचना जारी कर कहा था कि जिन मदरसों में औपचारिक चार विषयों अंग्रेजी, गणित, विज्ञान और समाज विज्ञान की शिक्षा नहीं दी जाती वहां के बच्चों को सरकारी स्कूली छात्र नहीं माना जायेगा. इस संबंध में अल्पसंख्यक विभाग के प्रधान सचिव ने शिक्षा विभाग के मुख्य सचिव को पत्र लिखा है.

शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े ने कहा कि सरकार का इरादा मदरसों की धार्मिक शिक्षा में दखल देने का नहीं है. हम चाहते हैं कि वहां के बच्चे साइंस, सोशल साइंस और मैथ्स जैसे विषय भी पढ़ें, ताकि मुख्यधारा में आकर अच्छी नौकरी पाने लायक बनें. अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री एकनाथ खडसे ने बताया कि राज्य के 1,890 रजिस्टर्ड मदरसों में से 550 चार सब्जेक्ट पढ़ाने को राजी हो गए हैं. शिक्षा विभाग 4 जुलाई को ऐसे मदरसों का सर्वे कराएगा.

एमजे/एसएफ (वार्ता, पीटीआई)