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महिला खतने की 20 करोड़ महिलाएं शिकार

५ फ़रवरी २०१९

दुनिया भर में करीब 20 करोड़ महिलाएं खतना का शिकार हुई हैं. यह प्रथा अफ्रीका, मध्यपूर्व और एशिया के करीब 30 देशों में प्रचलित है. 6 फरवरी को महिला खतना के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है.

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Stephanie Sinclair - Gewinnerin des Anja Niedringhauspreis 2017
तस्वीर: IWMF/Stephanie Sinclair

संयुक्त राष्ट्र संस्था विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि महिला खतना मानवाधिकारों का गंभीर हनन है. संयुक्त राष्ट्र बाल कल्याण संस्था यूनीसेफ के अनुसार फीमेल जेनिटल म्यूटीलेशन एफएमजी कहे जाने वाले खतना से प्रभावित आधे से ज्यादा महिलाएं इंडोनेशिया, मिस्र और इथियोपिया में रहती हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने डॉक्टरों और चिकित्सीय कर्मचारियों से अपील की है कि वे इस तरह के ऑपरेशन न करें.

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दिशा निर्देश जारी किए हैं कि डॉक्टर खतना के दौरान होने वाले जख्म का इलाज कैसे करें. जेनिटल म्यूटीलेशन उस ऑपरेशन को कहा जाता है जिसके जरिए बिना किसी चिकित्सीय जरूरत के लड़कियों और महिलाओं के जननांग के क्लिटोरिस कहे जाने वाले हिस्से को या तो पूरी तरह या आंशिक रूप से काट दिया जाता है. अक्सर इसका नतीजा खून की बड़ी मात्रा में बहने या इंफेक्शन के रूप में सामने आता है. बाद में सिस्ट या बच्चे के मृत पैदा होने जैसी समस्या भी होती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रवक्ता तारिक यारेविच का कहना है, "फीमेल जेनिटल म्यूटीलेशन की कोई चिकित्सीय दलील नहीं है."

Uganda - Schild gegen FGM
तस्वीर: Getty Images/AFP/Y. Chiba

महिला खतना लड़कियों और महिलाओं में दीर्घकालीन समस्याएं पैदा करते हैं तो इसके विपरीत लड़कों का खतना, जिसमें शिश्न के अगले भाग को काट दिया जाता है, कुछ बीमारियों से रक्षा करता है. खतने की ये प्रथा ईसाई और इस्लाम धर्म से भी पुरानी है. लड़कियों का खतना ईसाई और मुस्लिम दोनों देशों में होता है. इसका मकसद लड़कियों में सेक्स की इच्छा को दबाना या सीमित करना है. बहुत सी महिलाओं के लिए खतने के बाद सेक्स दर्द भरा होता है. संयुक्त राष्ट्र पॉपुलेशन फंड के अनुसार हालांकि खतने की प्रथा में धीरे धीरे कमी आ रही है लेकिन प्रभावित देशों में बढ़ती आबादी के कारण उसकी कुल संख्या में गिरावट नहीं आ रही.

Infografik Weibliche Genitalverstümmelung EN

सिएरा लियोन का उदाहरण

सिएरा लियोन में महिला खतने पर रोक लगा दी गई है. यहां 90 फीसदी लड़कियों का खतना होता है. संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार ये सबसे ज्यादा खतरा दर वाले देशों में है और अब तक अकेला अफ्रीकी देश था जहां महिला खतने पर रोक नहीं थी. यहां लड़कियों को ताकतवर गोपनीय संगठनों में शामिल किए जाने से पहले खतना होता है. बोंडो नामक ये संगठन राजनीतिक तौर पर अत्यंत प्रभावशाली हैं. पिछले दिनों इन संगठनों के दीक्षा समारोहों पर रोक लगा दी गई है. एफजीएम के खिलाफ अभियान चला रहे कार्यकर्ताओं का कहना है कि रोक का इस्तेमाल इस प्रथा के खिलाफ जागरूकता फैलाने के लिए किया जाएगा.

पिछले दिसंबर में खतने के दौरान 10 साल की एक लड़की की मौत हो गई थी. उसके बाद इस प्रथा को रोकने की मांग ने जोर पकड़ लिया था. महिला खतना विरोधी आंजदोलन के संस्थापक और पूर्व मंत्री रुगियातू तूरे का कहना है, "हम बोंडो को खत्म नहीं करना चाहते, ये हमारी संस्कृति का हिस्सा है, लेकिन हम एफजीएम को दीक्षा प्रक्रिया के हटाना चाहते हैं." खतना विरोधी कार्यकर्ता उस इलाके में जहां लड़की की मौत हुई थी, खतना करने वाले परंपरागत लोगों से भी मिलेंगे. उनमें से कुछ ने वादा किया है कि वे इस परंपरा को त्याग देंगे. विशेषज्ञों का कहना है कि सिएरा लियोन और लाइबेरिया के अधिकारी खतने के खिलाफ कानून बनाने में प्रतिरोध कर रहे हैं. लाइबेरिया में पिछले साल लागू रोक एक हफ्ते पहले खत्म हो गई.

एमजे/एके (डीपीए, रॉयटर्स)

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