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पूरी दुनिया पर बना है इस महामारी का खतरा

आरपी/एके (एएफपी)२० सितम्बर २०१६

रिसर्चर्स ने चेताया है कि पूरे विश्व को माइक्रोसिफेली की महामारी के लिए तैयार रहना चाहिए. जीका वायरस से फैलने वाली इस बीमारी के "वैश्विक महामारी" बनने का खतरा है और यह जन्मजात बीमारियों की सूची में शामिल की जानी चाहिए.

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Brasilien - Maßnahmen gegen Zika Virus - Rio de Janeiro
तस्वीर: Reuters/P. Olivares

माइक्रोसिफेली नाम की इस बीमारी से गर्भ में पल रहे भ्रूण के सिर के अविकसित रह जाने का खतरा होता है. जीका वायरस के कारण होने वाली इस बीमारी से प्रभावित बच्चे छोटे अविकसित सिरों के साथ पैदा होते हैं. ब्राजील और ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने बताया कि उन्हें जीका के मरीज में कमजोरी लाने वाली एक स्थिति डेबिलिटेटिंग डिसऑर्डर होने के बारे में अतिरिक्त सबूत मिले हैं. यह बात कई देशों के मेडिकल प्रैक्टिशनर स्वीकार कर रहे हैं.

Infografik Microcephaly Englisch

ब्राजील के नवजातों में कराई गई इस स्टडी में इस दोहरी परेशानी का पता चला है. स्टडी में शामिल कुल 32 नवजातों में से करीब आधे माइक्रोसिफेली प्रभावित बच्चों के रक्त या मस्तिष्कमेरु द्रव में जीका वायरस के अंश बरामद हुए. वहीं समान्य सिर के साथ पैदा हुए दूसरे 62 बच्चों के खून में जीका का कोई सबूत नहीं मिला.
लैंसेट के इंफेक्शस डिजीजेस जर्नल में रिसर्चरों ने लिखा है कि इस "अनोखे संबंध" से यह "निष्कर्ष निकलता है कि माइक्रोसिफेली महामारी जन्मजात जीका वायरस के संक्रमण का परिणाम है." और अगर ऐसा है तो इसका अर्थ होगा कि "माइक्रोसिफेली महामारी के दुनिया के सभी देशों में फैलने की स्थिति के लिए हमें तैयार रहना होगा."

स्टडी के लेखकों की सलाह है कि जीका को जन्म से पहले या ठीक बाद होने वाले बाकी संक्रमणों की श्रेणी में शामिल किया जाए. इस सूची में टॉक्सोप्लाज्मोसिस, सिफिलिस, रुबेला, साइटोमिगेलोवायरस, एचआईवी और हर्पीज पहले से ही रखे गए हैं. जीका का वायरस मुख्य रूप से मच्छरों से फैलता है और कुछ मामलों में सेक्स के द्वारा भी. गर्भवती महिलाओं समेत कई लोगों में शुरू में इसके संक्रमण के कोई लक्षण नहीं दिखते. रिसर्चरों का कहना है कि इस स्टडी से मिले यह प्रारम्भिक नतीजें हैं और 400 से अधिक बच्चों पर जीका के असर के बारे में और भी नतीजे आएंगे.


2015 के मध्य में जीका का संक्रमण बड़े स्तर पर फैला. इसका सबसे साफ असर छोटे सिर के साथ पैदा हो रहे बच्चों में देखा गया, जिसे माइक्रोसिफेली कहा जाता है. कुछ वयस्कों में इसके कारण लकवा और मौत तक हो सकती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार पिछले साल से ही अब तक करीब 15 लाख लोगों के जीका से संक्रमित होने का पता चला है. तब से 1,600 से अधिक बच्चे माइक्रोसिफेली के साथ पैदा हुए हैं.