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मिल गया कोलंबस का जहाज

१४ मई २०१४

समुद्री खोजकर्ताओं का मानना है कि हैती के पास मिला मलबा क्रिस्टोफर कोलंबस का ऐतिहासिक जहाज 'सांता मारिया' हो सकता है जिससे उन्होंने अमेरिका की खोज की थी. कुछ वैज्ञानिक अभी इस नतीजे पर पहुंचने को जल्दबाजी मान रहे हैं.

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तस्वीर: Reuters

हैती के उत्तरी तटीय इलाके के पास पानी में मिले एक जहाज के अवशेष इतिहास के सुनहरे पन्नों से निकल के आए लगते हैं. इन्हें ढूंढने वाले खोजकर्ताओं का मानना है कि ये 500 साल पुराने 'सांता मारिया' के बचे हुए हिस्से हैं. क्रिस्टोफर कोलंबस 1492 में 'सांता मारिया' के सहारे स्पेन से एशिया पहुंचने का छोटा रास्ता ढूंढने निकले थे. सांता मारिया कोलंबस के तीन जहाजों के बेड़े में से एक था. कहा जाता है कि बहामास के पास, क्रिसमस के दिन 'सांता मारिया' एक रीफ की तरफ रास्ता भटक गया और चट्टान से टकराकर दुर्घटनाग्रस्त हो गया. मैसाचुसेट्स के समुद्री अन्वेषक बैरी क्लिफोर्ड ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, "सभी भौगोलिक, पानी के अंदर इसकी स्थिति और पुरातात्विक प्रमाणों से ये साफ लगता है कि कि ये मलबा कोलंबस के मशहूर बेड़े सांता मारिया के ही है."

माना जाता है कि कोलंबस उस टूटे जहाज 'सांता मारिया' और अपने 39 लोगों को वहीं छोड़ कर स्पेन वापस चले गये. वह एक साल के बाद इस जगह फिर वापस आए लेकिन तब तक 'ला नाविदाद' किला भी नष्ट हो चुका था और उसके दल का कोई भी जिंदा नहीं बचा था. फ्लोरिडा यूनिवर्सिटी के पुरातत्वविज्ञानी कई सालों से दूसरे जहाज के अवशेष ढूंढ रहे थे. पिछले साल इस दल ने बताया था कि उन्हें वहां ऐसी जगह मिली है जो 'आरावाक इंडियन विलेज' रहा होगा.

दूसरी ओर हैती के मानव विज्ञान विशेषज्ञ इस खोज से पूरी तरह सहमत नहीं हैं. नेशनल एथनोलॉजी ऑफिस के निदेशक एरोल जोशुए इसे एक ऐतिहासिक और वैज्ञानिक भूल मानते हैं. उनका कहना है कि सांता मारिया समुद्र में पाया ही नहीं जा सकता. माना जाता रहा है कि जहाज जब टक्कर लगने से दुर्घनाग्रस्त हो गया था तब बचे हुए लोगों ने उसे तोड़ कर उसकी लकड़ी से एक छोटा सा किला बना दिया था. इसी किले को 'ला नाविदाद' के नाम से जाना जाते है और यही नई दुनिया में पहला यूरोपीय बसेरा भी माना गया था.

इस जहाज के अवशेष एक रीफ के पास 10 से 15 फीट गहरे पानी में मिले हैं. इसकी कील की लंबाई सांता मारिया से मिलती है जो 115 फुट था. पहली बार क्लिफोर्ड की टीम ने 2003 में इन्हें ढूंढा था लेकिन तब इसे पहचानना संभव नहीं था. बीते दस सालों में कई साक्ष्य जुटाने के बाद इस अन्वेषक दल का मानना है कि हैती के पास मिला मलबा कोलंबस के जहाज का ही है. लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि अभी ये मान लेना जल्दबाजी होगी और इतिहास में एक मील का पत्थर मान लिए जाने के पहले और जांच किए जाने की जरूरत है.

आरआर/ओएसजे (रॉयटर्स, एपी)