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मिल गया सुपर स्ट्रॉन्ग रेशम

ओंकार सिंह जनौटी
१० अक्टूबर २०१६

रेशम का कीड़ा अगर पत्तों के साथ ग्रेफीन खाने लगे तो क्या होगा, ऐसा प्रयोग करने वाले वैज्ञानिक नतीजों से हैरान हैं.

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तस्वीर: Maryam Ghavamipour

चीन की सिंगहुआ यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने रेशम के कीड़े के खाने से छेड़छाड़ की. उन्होंने पत्तों पर ग्रेफीन की परत चढ़ा दी. कीड़े ने ग्रेफीन चढ़े पत्ते खा लिये और कुछ दिन बाद रेशम बनाया. वैज्ञानिकों ने जब रेशम की जांच की तो वे हैरान रह गए. नया रेशम दोगुना मजबूत निकला. वैज्ञानिकों ने इस रेशम को "वंडर मैटीरियल" नाम दिया है.

नैनो लेटर्स पत्रिका में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, "रेशम का कीड़ा टेक्सटाइल उद्योग और रिसर्च सोसाइटी का ध्यान अपनी तरफ खींच रहा है क्योंकि उसमें गजब के मैकेनिकल गुण हैं." मैटीरियल साइंटिस्ट यांगओपेंग झांग मानते हैं कि अब बड़े पैमाने पर बेहद मजबूत रेशमी धागे बनाये जा सकेंगे.

ग्रेफीन की खोज 2004 में मैनेचेस्टर यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने की. इसके गुणों पर शोध करने के लिए 2010 में आंद्रे गेइम और कोस्टांटिन नोवोसेलोव को फिजिक्स का नोबेल पुरस्कार भी मिला. ग्रेफीन, स्टील से 200 गुना ज्यादा मजबूत है. विद्युत प्रवाह के लिहाज से यह तांबे से बेहतर है और लचक के मामले में ग्रेफीन रबर को भी पीछे छोड़ देता है. इन्हीं खास गुणों के चलते ग्रेफीन वैज्ञानिकों को खासा आकर्षित करता है.

नैनो लेटर्स की रिपोर्ट कहती है कि, "मैकेनिकल ढंग से तराशा गया रेशम सीधे कीड़ों को खाना देने से मिला. रेशमी कीड़ों को कार्बन नैनोट्यूब्स और ग्रेफीन की एक परत वाला खाना दिया गया."

सरे यूनिवर्सिटी में ग्रेफीन पर रिसर्च कर रहे प्रोफेसर रवि सिल्वा कहते हैं, "काफी समय से लोग ग्रेफीन वाली चीजों का आम जिंदगी में इस्तेमाल करना चाह रहे हैं. अब हम ऐसी जगह पहुंच रहे हैं जहां ऐसी चीजें बनाना मुमकिन है."

(देखिये बेशकीमती पत्थर की खोज)