1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

भूटान में इलेक्ट्रिक कारें

२४ फ़रवरी २०१४

कभी टीवी को भी अपने देश में नहीं आने देने वाला भूटान अब हाई टेक दुनिया की ओर बढ़ रहा है. जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए हिमालयी देश ने बिजली से चलने वाली कारें चलाने का फैसला किया है.

https://p.dw.com/p/1BEHa
तस्वीर: DW/A. André

भूटान ने तय किया है कि वह इलेक्ट्रिक कारों के इस्तेमाल का अच्छा उदाहरण बनेगा और सकल राष्ट्रीय खुशी के मॉडल पर नई तकनीक का इस्तेमाल करेगा.

प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे के मुताबिक उनका देश तकनीकी अगुवा बनने को तैयार है. उन्होंने कहा, "तकनीक विनाशकारी नहीं है. यह अच्छी है और भूटान की संपन्नता में सहायता कर सकती है."

हालांकि यह विचार भूटान में हमेशा से नहीं था. 1999 तक भूटान ने अपने देश में टीवी लाने से इनकार कर दिया था. उस समय देश के एक तिहाई घरों में ही बिजली थी. लेकिन अब तस्वीर तेजी से बदल रही है. पनबिजली की मदद से देश ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बना है, साथ ही वह पड़ोसी देशों को बिजली बेच भी रहा है. अब भूटान के करीब हर घर में बिजली है, स्मार्ट फोन कम से कम राजधानी थिंपू में तो काफी दिखाई देते हैं.

तोबगे ने बताया, "इंटरनेट, मोबाइल और स्मार्टफोन जरूरी हो गए हैं, उनके बिना आप कुछ नहीं कर सकते. वे जरूरत की तीज हैं. हमने भी इन्हें अपनाया है. अधिकतर लोगों के पास मोबाइल है, ये सच्चाई है. इसी तरह हमने निसान लीफ लॉन्च की है. हमारा लक्ष्य है सभी विकल्पों से सर्वश्रेष्ठ हल निकालना."

Bildergalerie 11. internationale Automobilmesse in Guangzhou, China Smart
धीरे धीरे बढ़ता इलेक्ट्रिक कारों का बाजारतस्वीर: picture-alliance/dpa

डील के तहत जापानी कार कंपनी निसान की बैटरी से चलने वाली गाड़ियां लीफ्स भूटान आयात करेगा. इसके पीछे कारण प्रदूषण को रोकना है. तोबगे ने कहा कि भूटान कभी खुद के पर्यावरण को आर्थिक विकास का शिकार नहीं बनने देगा, जो सकल राष्ट्रीय खुशी (जीएनएच) का मुख्य मूल्य है, "विकास जरूरी है लेकिन जीवन के बाकी पक्षों के साथ इसे संतुलन में होना चाहिए, इसमें संस्कृति, धर्म, विरासत और टिकाऊ विकास शामिल हैं. पिछले 30-40 साल में हमने पर्यावरण और साफ सुथरे उद्योगों को बढ़ाने पर काफी जोर दिया है. हम सौ फीसदी ऑर्गेनिक होना चाहते हैं. इसमें थोड़ा वक्त लगेगा लेकिन हम जीरो एमिशन विकसित करना चाहते हैं. इससे पता चलेगा कि भूटान क्या है और वह कहां जाना चाहता है."

विज्ञान के विद्यार्धी तोबगे जुलाई में प्रधानमंत्री बने हैं. पहले उन्होंने जीएनएच के बारे में शंका जताते हुए कहा था कि यह देश की समस्याओं से ध्यान भटकाती है. उनके मुताबिक, "जीएनएच ने हमें दिशा दिखानी चाहिए, इस सोच को जोखिम में नहीं डालना चाहिए. लेकिन मेरा विचार ये है कि इसके बारे में बोलने और बहस करने की बजाए हमें इसे अमल में लाना चाहिए."

भारत और चीन के पड़ोसी भूटान की जनसंख्या साढ़े सात लाख है. खूबसूरत प्रकृति के बावजूद यहां आने के लिए पर्यटकों को हर दिन के लिए ढाई सौ डॉलर देने ही पड़ते हैं.

पहाड़ी नदियों और झरनों के कारण भूटान में पनबिजली परियोजनाएं अच्छे से काम कर रहा है. हालांकि उसे अभी और 10 प्लांट बनाने है ताकि 10,000 मेगावॉट बिजली पैदा करने का लक्ष्य पूरा किया जा सके. तोबगे की नजर हाइड्रोपॉवर के बाद सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और बायोगैस पर है. उन्होंने कहा, "अहम है कि हम अपने लक्ष्य को पाने के लिए आगे बढ़ें, जो कि फिर से इस्तेमाल की जा सकने वाली ऊर्जा है, इससे देश को बिजली देने का है और साफ सुथरी ऊर्जा से पड़ोसी देशों को भी बिजली पहुंचाने का है."

एएम/ओएसजे (एएफपी)