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मिस्र के सेना प्रमुख का इस्तीफा

२७ मार्च २०१४

जबरदस्त क्रांति के बाद मिस्र एक बार फिर सेना की छाया में जाता दिख रहा है. सेना प्रमुख अब्दुल फतह अल सिसी ने सेना की पोशाक उतार दी है. अब वह राष्ट्रपति चुनाव लड़ेंगे.

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तस्वीर: picture alliance/AP Photo

अल सिसी ने बुधवार को एक रिकॉर्डेड संदेश में कहा, "मैं आज आखिरी बार सैनिक पोशाक में आप से बात कर रहा हूं. आज मैं इस पोशाक को छोड़ रहा हूं. एक बार फिर राष्ट्र की सुरक्षा के लिए." 59 साल के अल सिसी का कहना है कि "जनता का समर्थन" उन्हें इस चुनाव में विजयी बनाएगा.

हालिया सर्वे में अल सिसी के पक्ष में 51 फीसदी लोग बताए गए हैं, जबकि 45 प्रतिशत लोगों ने तय नहीं किया है कि वे किसे वोट देंगे. अब तक सिर्फ एक और नेता ने उम्मीदवारी की घोषणा की है. वामपंथी अरब राष्ट्रवादी हमदीन सबाही को सिर्फ एक प्रतिशत लोग राष्ट्रपति मानने को तैयार हैं.

Proteste Massenprozess gegen Muslimbrüder in Ägypten
मुर्सी के समर्थन में प्रदर्शनतस्वीर: picture-alliance/dpa

संभव है कि राष्ट्रपति पद का चुनाव मई में हो और इसके लिए रविवार को औपचारिक एलान किया जाए. अल सिसी की उम्मीदवारी की लंबे वक्त से चर्चा चल रही थी और मिस्री मीडिया इस बारे में लगातार रिपोर्टें छाप रहा था. अल सिसी ने सुप्रीम काउंसिल की बैठक में सैन्य अधिकारियों और अंतरिम राष्ट्रपति आदली मंसूर से सलाह मशविरे के बाद यह फैसला किया.

उन्होंने रक्षा मंत्री के पद से भी इस्तीफा दे दिया है. उनका कहना है कि देश एक मुश्किल समय से गुजर रहा है, "हम मिस्रियों के सामने एक बेहद मुश्किल काम है. आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक और सुरक्षा की स्थिति ऐसी जगह पहुंच गई है, जहां एक जिम्मेदारी भरे संघर्ष की जरूरत है."

अल सिसी ने कहा कि वह चाहते हैं कि निष्पक्ष चुनाव हों. मिस्र में हाल के जनमत संग्रह में सेना के तैयार किए गए संविधान को अमल में लाया गया है. इससे पहले मुस्लिम ब्रदरहुड की अध्यक्षता में 2012 में तैयार संविधान के मसौदे को खारिज कर दिया गया. प्रशासन ने चुनाव को निष्पक्ष दिखाने के लिए सरकारी चैनल पर अल सिसी के साथ विरोधी प्रत्याशी सबाही की भी अच्छी छवि के साथ रिपोर्टें दिखाई गईं.

पिछले साल जुलाई में मुहम्मद मुर्सी के सत्ता से हटने के बाद से अल सिसी को मिस्र का सबसे ताकतवर व्यक्ति माना जा रहा है. हालांकि उस समय समझा जा रहा था कि अल सिसी मुस्लिम ब्रदरहुड के करीब हैं. लोगों ने मुर्सी के प्रति अपनी नाराजगी दिखाई थी.

मुस्लिम ब्रदरहुड को एक बार फिर प्रतिबंधित कर दिया गया है. उसने अल सिसी पर आरोप लगाया है कि मुर्सी के समर्थकों के साथ उन्होंने बुरा बर्ताव किया है. काहिरा की दीवारों पर अभी भी "अल सिसी हत्यारा है" के नारे देखे जा सकते हैं.

एजेए/एमजी (डीपीए)